SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jaina Literature and Philosophy चिदानंद आनंदमय चिदरूपी अविकार सिद्धबुद्ध सुचि सुद्ध तूं तू जगप्ररमाधार ॥ १ ॥ तुझ कृपाळताथी करूं भाषा भाषारूप तवना जिन बाबीसनी आनंदघनरसकूप ॥ २ ॥ etc. s Ends. (text) fol. 121a 11 अंतिम भव गाहि तुझ भावनू रे || भावस्यूं सुद्ध सरूप ।। आनंदघन पद पमस्थू रे || आतमरूप अनूप 11 || ए ऑक० ॥ च० ७ ॥ इति श्रीमहाबीरजिणंस्तवनं संपूर्णमः ॥ २४ ॥ etc. - ( com. ) fol. 121b - आनंदघनत तवनमां मुझ तव अतिवीव IO 15 20 25 184 30 39 Jain Education International अंतररयणी दीवसनौ उज्जल जचवलि कीच ॥ १२ ॥ एविन आनंदघन तणा अरथ रहसपद दीठ तस प्रसाद एहवा थया नींठ नींठ पदनठ ॥ १३ ॥ इति श्रीआनंदघनजीकृतसूत्र ॥ पं ज्ञानसारकृत बालाबोध चतुर्विंशतिजिनेन्द्राणां स्तुति संपूर्ण समाप्ताः ॥ संवत १९२१ ना चैत्र वद ३ वार बुद्धवासरे ग्रंथ समाप्तं जंगमजुगप्रधानभट्टारक श्रीश्रीश्री १०८ श्रीजिनचंद्रसूरिरान ततसिष्य हरीकूसलजी ततसिष्य पं सागरचंद लिपीत्तं सच अरथै श्री'सूरत बिंद्र' मध्ये ठिकाना 'गोपीपूरा' मै 'ओसवाल' मोहलामा श्रीवास्यपूज्यजी महाराजमंदर के पास लषितं उपरकी प्रत्त संवेगी मूनी दयाचंदजी से लेइने अपने वास्ते लिषतं श्रीकल्याणमस्तुं श्रीशुभं भवतु श्री ॥ 'बरतर' गछसिरोमणी ज्ञानशार मनोहार स्तवना जिन चौवीषकि करत वरत सुषसार ॥ १ ॥ श्री जिनकुशलसूरींद के रहत सूरन परताप ता मै लपत चौवीशकु जिनस्तवन्नामयकाप ॥ २ ॥ अब्द परीसह अंक शशी (१९२२) मधुकृष्ण वीधुसुत रत्नलींगवासर लिष्यो ग्रंथ सागर हरीयुत ॥ ३ ॥ पूछया पंडितथी अरथ सरी न कारज सिद्ध । थी अर्थ यूं नहीं केर्णे कस्यूं बिद्ध || ४ || ज्ञानविमल की अरथ बांच्यो वारंवार पण किमही न विचारणा करत करी निरधार ॥ ५ ॥ सूर उदैविणकुण करे जब गति जलजविकास तिम मति रवि प्रति भास किरण रहिस करें सुविकास || ६ || For Private & Personal Use Only [156. || www.jainelibrary.org
SR No.018037
Book TitleDescriptive Catalogue of Govt Collections of Manuscripts Part 1 Hymnology
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal R Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1957
Total Pages402
LanguageEnglish, Sanskrit
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy