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________________ ____402] Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur ___2290 पुरुषपरीक्षापद्यानि Opening विद्यापति मिश्र नैं पुरुषपरीक्षा ग्रन्थ वणायो ती मैं दयावीर को प्रस्ताव रणस्तम्भपुर का राजा चाहुवाण हम्मीर को लेख्यों तीमैं यवनेन्द्र अलाबुद्दीन नैं रणस्तम्भ के घेरो लगाय । दूतद्वारा राजा सु कहाई महिमासाहिकों पकड़ा........राजा हमीर को कह्यो उत्तररूपपद्य-भौतिकेन शरीरेण नश्वरेण चिरस्थिरम् ।। लक्ष्यमान यश: कोऽन्धः परिहर्तुं समीहते ॥१॥ Closing तथाईं ग्रन्थ मैंई तीजो पद्यते प्रासादा निरुपमगुणास्ताः प्रसन्नास्तरुण्यो, राज्यं तच्च द्रविणबहुलं ते द्विपास्ते तुरङ्गाः ॥ त्यक्तुं यन्न प्रभवति परः किञ्चिदेकं परार्थे, सर्वं त्यक्त्वा समितिपतितो हन्त हम्मीरदेवः ॥३॥ 2291 पुरुषपरीक्षायाः प्रशस्तिपद्यानि Opening पुरुषपरीक्षा मैं सत्यवीर का प्रस्ताव मै लिखी पहिले दिल्लीश्वरमुहम्मदसाह कै कारणोदकुलीन नसिंह देव १ अर चाहवाण चाचिकदेव २ दोही योद्धा इक्का मैं चाकर छाप छैई यवनेन्द्र सं काफर राज लै लड़ाई आय करी मुहम्मद की सेना भागी जठे इनै कही म्हारा विजय को अर राज्य को रक्षक ईंचो ४........ Closing सहस्र १००० अश्वलक्ष १००००० सवर्णवाई २ चामर २ सहित कोई देस को राज्य देवा लागो जदि इनैं एक पद्य कह्यो यथा -- स्वीकृतं दुष्करं कर्म मया यस्य हितेच्छया ।। तेन विज्ञायमानो मे फलितः श्रभपादपः ॥१॥ अर कही म्हारो श्रम आपनें जा मिलियो योही मनं वड़ो प्रसाद करि मान्यों सिवाय रीड जसी मनै कांई अद्भुतकर्म करयों........इतनु प्रसाद करो च्छो ज्योहि प्रसाद करो छो तो सत्यवीर चाहुवारण चाचिकदेव 4 करो जीने मोकू इतनों जस दियो अर शत्रु को मस्तक काटि लायो न काटतो तो कदाचित् ऊवी म्हारी नाईं आयुवल सूं स्वस्थ हो जातो पर शत्रु को मस्तक सवक देखतां यो लायो छो तींसू यो म्हारो कर्म ख्यात न करतो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018016
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Oriental Research Institute Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages506
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size21 MB
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