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भाषा
संवत
पत्र संख्या ८८(२८-११२) ३४(२६०-३०३)
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध ........६६४.......................जीर्ण,पत्र १थी १२, १४ ची २७, २ नथी।
..............२०९५/६६६.-३२७ ६६७...३२७ .......९५००/-.
..जीर्ण
..६७१.
....१५००L.
३०० ग्रंथांक.
ग्रंथर्नु नाम ६६४ ...... स्थानावृत्ति ........ ६६५...... उत्तराध्ययनसूत्र .... ६६६ ...... पंचाशकवृत्ति .......
अभयदेवसूरि. ..नवतत्वप्रकरण सह वृत्ति
स्तोत्र संग्रह ... ... नयचक्र आलाप पद्धति .....
दिवसेन पंडित ..वीशरथानकपूजा.....
विजयलक्ष्मी ... जिनशतकपंजिका टीका ................ जम्बूसाधु ..... ... गौतमपृच्छा बालावबोध ..... रघुवंश .................
कालिदास -सप्तति अवचूरि ............ चोवीसदंडकबोल .......................... लक्ष्मीकुशल.. गुणस्थानविचार ...... शाश्वतजिनर्विवस्तवन.. नवतत्त्वप्रकरण सहटब्बार्थ
जिनहंस .. कर्मप्रकृतिसंग्रहणी कर्मप्रकृतिटीका ......
मलयगिरि नलदमयंतीचरित्र (नलायनम्) ..... सप्तम कर्मग्रंथ .....
देबेन्द्रसूरि समयसारप्रकरण टब्बार्थ.. पंचास्तिकाय सह छाया अर्थ व भावार्थ प्रवचनसार सह छाया अर्थ व भावार्थ सामायिकसूत्र सह वचनिका व बालावबोध . पंडित मनोहर .. समयसारप्रकरण............ द्रव्यसंग्रहटीका ............. नारचंद्रज्योतिष सह टब्बार्थ शांतिनाथचरित्र
जिनप्रभसूरि शजयमाहात्म्य
धनेश्वर सूरि
१७८४
ECO
---३२७
...८१५०..
६८१...३२७
............ पत्र १२२. १२५. १२८ नथी.
1७४२
२७००..जीर्ण तथा चोटेलों छे.
... ४८०५/- पत्र १५० थी १५३ नथी.
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