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झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
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लावण्यसमय.
२४०००
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर • जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम
भाषा संवत् । पत्र संख्या ६३८...... संबोधसत्तरी सह टवार्थ ...
हेमसागरगणि
.......... १७६९ ६३९ ...... अभिधानचिंतामणी.......
हेमचंद्रसूरि.
............ १९०० ६४०..... मानतुंग मानवती रास ...
रूपविजय ....
....... १८२५ ६४१.... आत्मप्रबोधाछत्तीसी .......
ज्ञानसागर
... १९०७ ६४२.... विवाहप्रकरण............
रूपचंदजी स्थूलिभद्रएकवीसु.........
૧૮૮૩ ६४४/A. गौतम + नवकाररासादि ............ ६४४/B. उत्तराध्ययनसज्झाय.... ६४५... आवकपाक्षिक अतिचार .............. ६४६ ..... प्रकरणत्रथि........
(नवतत्त्व + जीवविचार + चौबीस दंडक) ज्ञाताधर्मकथांगवृत्ति ........
औपपातिकसूत्रवृत्ति .........................अभयदेवसूरी.............. निरयावलिकादिपञ्चोपांगसूत्र सह वृत्ति .. पिंडविशुद्धि सह वृत्ति ....... राजप्रश्नीय सह वृत्ति ...............
मलयगिरि ...... पुष्पमाला .................................. मलधारी हेमचंद्ररारि ............. संस्तारक सह टब्यार्थ ....................................... आतुरप्रत्याख्यान.................... शीलोपदेशमाला ........................... जयवल्लभसूरि .... लोकनालिद्वात्रिंशिका प्रकरण .............. जंबूदीपप्रज्ञप्ति चूर्णि...... चैत्यवंदन आदि भाष्य बालावबोध .............. कर्मग्रंथ ये थी पांच ......... अनुयोगद्वारसूत्र..............
मलधारी हेमचंद्रसूरि अनुयोगद्वारदृत्ति
मलधारी हेमचंद्रसूरि -जीवाजीवाभिगमवृति ........
मलयगिरि .... ६६३ ...... पंचलिंगीप्रकरणवृत्ति
जिनपतिसूरि ....
.............................१८६०
.६२०...६६१ -- ३२६ ......२०००/..६२०... ६६१.-- ३२६ ....... ५७००. पत्र १०५ मुं नथी. ..........६६२.-३२६
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