________________
संवत
ग्रंथान
विशेष नोध
३१६...
......... १६०५
पत्र संख्या ।
झेरोक्षसी .डी. ..५.३१६ थी ३२२+३८९. ...........८.३१६ थी ३२२+३८९.4
३१६ थी ३२२ + ३८९ -- ३१६ थी ३२२ + ३८९ ३१६ थी ३२२ + ३८९
..... १६५७
.. १६६४ .१६६४
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर ग्रंथांक ग्रंथनु नाम
कर्ता भाषा ३१८...... अगडदत्तकथा ......... वसुधारा ...........
. सं. मृगसुन्दरीकथा .............................वीरसागरगणि............. रोहणीतप कथा .... कूर्मापुत्रकथा ......
......... जिनमाणिक्यसूरि कूर्मापुत्रकथा ....
.....जिनमाणिक्यसूरि दीपावलीकल्प ..... मौनएकादशीकथा ..
दानचन्द्रगणि ... कथासंग्रह विनोदकथासंग्रह .....
मलधारी राजशेखर ... महीपाल कथा चरित्र
वीरदेवगणि पर्वतिथि + अक्षयतृतीया समुच्चय व्याख्यान पांडवचरित्र....
देवप्रभसूरि ........... प्रज्ञापनावृत्ति
मलयगिरि आत्मरस समाधितन्त्र सह बालावबोध, राजप्रश्नीय सूत्र टब्बार्थ,
मेघराज पार्धचंद्रगच्छीय. ३३४ ...... गोडीपार्श्वनाथ स्तवन ....... ३३५ ....
साधु (मुनि) मालिका...... ३३६ ...... सौभाग्यपंचमीस्तवन .....
कान्तिबिजय..... ३३७ ...... पर्युषणाष्टान्हिका व्याख्यान ................. ऋषभविजय ३३८ . स्तुति संग्रह ...........
बृहत् शान्ति ........................ जयतिहुअण स्तोत्र सह टब्बार्थ ............
सम्यक्त्व अधिकार ....................... रविविजय ...... .... गुणस्थान तथा कायस्थिति.
बीशस्थानकपूजा ...................... केशरसागर चौवीशदंडक सह टब्बार्थ ............
4141HHHH4444444444444
१६६० १६६९ १७३२
... १८९२
. १८७१
TIT
१८६९
१९११
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org