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पत्र संख्या -
विशेष नोंध
१६२...--
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान - १३०... १७८............... ४००. १३०... १७८..
1.अतिजीर्ण
*. १६७०
..........१३०... १७८.
३२४
EF
......... १७१५
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर प्रियांक - ग्रंथर्नु नाम
कर्ता
भाषा संयत सङ्ग्रहणी (श्रीचन्द्रीय)............... मलधारी हेमचंद्रसूरि शिन- प्रा. १६३ ...... सिद्धपंचाशिका सह अवचूरि ............ देवेन्द्रसूरि .... १६४ ...... ज्योतिषसार
हीरकबीश्वर...... ..सं............ ૧૮દ્ર १६५ ...... चतुर्विशतिस्तुति ..............
लावण्यसमय .............-- अप. नवकारस्तवन (गुणवर्णन) ढाल ...... महावीर (दुरियरयसमीर) चरित्र स्तोत्र सह अवचूरि .................
जिनवल्लभसूरि ...........सं. .......... ध्यानशतक
जिनभद्रक्षमाश्रमण .........प्रा. अजितशांतिस्तव सह अवचूरि १७०...... बृहतशान्ति सह बालावबोध............. ऋषभविजय ...........
............१८६९ १७१..... वसुधारा ............................
--........... १८५२ १७२..... मृगापुत्रसन्धि (दाल)...................... जिनहर्षसूरि ... १७३..... गणधरसार्द्धशतक .................... जिनदत्तसूरि .... १७४ ...... मच्छोदररास ........ १७५..... सत्तरहमेदीपूजा स्तवन + ..........
.. १६८६ स्तंभन पार्श्वनाथ स्तवन चउगति बेल. श्रावकव्रत आलोचना.
१६६० चतुर्विशतिस्तुति (पंचाशिका).............. अपमविजय ..
१६६३ गणधरसाईशतक ......................... जिनदत्तसूरि नवतत्त्व मौनएकादशीतप+ उपधान कथानक .... सौभाग्यपंचमीव्याख्यान ..................... विजयसेनसूरिशिष्य
कनककुशल ....
............१८५० ......नवाणुंप्रकारनी पूजा ............. वीरविजय
१८९४ १८४ ...... पंचनिन्थी संग्रहणी सह अवधूरि .......... अभयदेवसूरि .... १८५...... चतुर्विंशतिस्तुति ..........
शोभनमुनि .....
..१८६३ १८६ ...... जातककर्मपद्धति ....
...........१३०...१७८...
१६९५
..........१३०... १७८.. ३२४
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....प्रथम पार्नु नथी
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