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तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न ।
विशेष नोंघ
...... १८०६
.१३०... १७८
EEEEEEER
१३८ ......
.६०००.. .... १२६१६..
.....३५००.. १०६ थी ११७ पाना नथी ...............१थी७ पाना नथी
१४३..... १४४ .....
२८० ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम
का
संवत् पत्र संख्या १३५..... आवश्यकसूत्राणि व पाठ....... १३६......श्रमणप्रतिक्रमणसूत्र............... १३७ ...... पाक्षिकसूत्र सह क्षमापना ................. मनरूपविजय
...१८५३ I.............२१ कल्पसूत्र सह शब्दार्थ व अन्तर्वाच्य ....... भद्रबाहु .......
१९०४............ १३९ ...... कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ..
भद्रबाहु ........
१८१०
........... ११५ १४० ..... पट्टावली ..............................
हर्षविजय ...............
... १७८३ .. ४(१८३-१८७) १४१..... कल्पसूत्रवाचना.......................
.प्रा.गु
.....................१०६ १४२..... कल्पसूत्रसह वृत्ति ........................... समयसुंदरोपाध्याय ........सं.......................१२४(१-१३१) कल्पसूत्र सह वाचना.................
मार.गु........... १७७८ .... ११६ नेमनाथ नवभव चरित्र .............. १४५ ...... कल्पान्तर्वाच्य.....
.......... १६५० १४६/A....
जैन रक्षा व जिन वज्रपंजरस्तोत्र ... १४६/B..... कल्पावलि ..............
कल्पसूत्र सह टब्बार्थ ............. १४८ ......कल्पसूत्र.................................. भद्रबाहस्वामि ............. प्रा.
कल्प सूत्रवाचना .............................मनरूप विजय ............ साधु समाचारी नवम् व्याख्यान ............ कल्पसूत्र सह वृत्ति
........... धर्मसागर .............. निशीथसूत्र सह भाष्य ओधनियुक्ति सह वृत्ति द्रोणाचार्य ..
१६६५ ... ओपनियुक्ति सह वृत्ति
१६५१ ओधनियुक्ति सह वृत्ति निशीथसूत्र .....
१४९२ पिंडविशुद्धि ....... आचारविधि (सामाधारी) नन्दीसूत्र
देवर्धिगणि क्षमाश्रमण १६०...... योगशास्त्र..
हेमचंद्राचार्य १६१......पिंडविशुद्धि
....... १५१
..१५२ + ३१२ .........१५३. १३०...१७८.
.८०००/.....८३८५.. ......१४००...
१५४ .....
.
भद्रबाह
....१३०... १७८
......अपूर्ण
१५९ .....
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