________________
१५८
संधांक
.....३८
२२४६.. २२४७.. २२४८ ..
श्रेष्ठ.
२२५० --
२२५०.२८९
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथ नाम | स्थिति
भाषा
संवत् । पत्र संख्या । झेरोक्ष सी.डी प्रथान विशेष नौध२२४४ ...... गदाधरीअनुमानखंज-न्याय .......... श्रेष्ठ.....
२२४४ ...२८५ ........... प्रति संदरे करडेली छे २२४५... न्यायग्रंथ ...... जीर्णप्राय
.१०१ २२४५ न्यायग्रंथ मध्यम
२२४६ भवानंदीप्रकाश सटीक मध्यम... महादेव मू.......
१८३२
२२४७ - २९० न्यायग्रंथ
जीर्ण २२४९ ..... सिद्धांतकौमुदी
नादकारिका वृत्तिसह तथा ...... मध्यम ..
तत्त्वनिर्णयविवरण २२५१.. श्रीचंद्रीयासंग्रहणी बालावबोधसह ....
मध्यम .............
प्रा.ग. ........... १८३१ રરર प्रयोगमुखव्याकरण अपूर्ण .......
.२२५२ २.२८९ २२५३ ...... विशेषशतक बीजकसह .................जीर्णप्राय समयसुंदर ................ सं. ........ र. १६८७- ................. ...........२२५३ २.२९०/ २२५४ .. ..अनेक ग्रंथो अने स्तवन,
. सज्झाय आदिनां प्रकीर्णक पान २२५५ .......अनेक ग्रंथो अने स्तवन सज्झाय .............आविना प्रकीर्णक पान २२५६ ....... स्तवन,सज्झाय,रास.चोपाई, प्रतिक्रमण
अने नवरमरण आदि गुटकाओ २२५०........ तीर्थकरभगवाननां चित्रो जीर्ण २२५८ ....... कल्पसूत्र (सुवर्णाक्षरी)
१. ग्रंथांक २२५७ तक के ग्रंथ बजोउपाश्रय ज्ञानभंडार के है।
Jain Education International
For Private &Personal use Only
www.jainelibrary.org