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जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ मंडार - जैसलमेर दुर्ग रोक्ष सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
पत्र संख्या
१७३४
...८८०, प्रति चोटेली अने नकामी के
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बबैं
ठ....
.....का.२७. प्रति एक बाजुथी उंदरे करडेली छे
१९२७
ग्रंथांक ग्रंथ नाम
स्थिति। कर्ता
भाषा संवत कर्णकुतूहलवृत्ति ........................ जीर्ण ... भास्काचार्य-मू. जीवविचारप्रकरण सावचूरि त्रिपाठ .... श्रेष्ठ .... शांतिसूरि मू. ज्योतिषरत्नमाला बालावबोधसह ....... अतिजीर्ण श्रीपति ...... षष्टिसंवत्सरटीका
मध्यम.. कर्णकुतूहल ...... मध्यम .. भास्कराचार्य
१७०८ जातकपद्धति टिप्पणीसह
श्रेष्ठ.... मिश्रप्रेम कर्मविपाकज्योतिष
मध्यम .. भुवनदीपकवृत्ति अपूर्ण जन्मपत्रीपद्धति
श्रेष्ठ .... हर्षकीर्तिसूरि विपाकसूत्र सस्तबक बृहद्महरत्नाकर ........
योगराज .................. औपपातिकसूत्र सस्तबक
श्रेष्ठ ..
.....प्रा.गु............ संवत् १७२७-१७४१ सुधीना पंचांगनी . विशेष हकीकतोनो गुटको श्रेष्ठ .. सीमंधरस्वामिस्तुति आदि स्तुतित्रय ... मध्यम ..
प्रा.सं जंबूद्वीपसंग्रहणी सस्तबक..
श्रेष्ठ....हरिभद्रसूरि मू......... ११८५ ..... शिखामणस्वाध्याय अपूर्ण ........ मध्यम ..
गुज. ११८६ ..... ओमकारबावनी अपूर्ण.... ११८७ .... षडावश्यकसूत्रबालावबोध ..
गुज. तत्त्वसंग्रहपंजिका ............ श्रेष्ठ .... कमलशील ..........
१९८३ द्वादशकुलक विवरणसह
श्रेष्ठ.... जिनवल्लभसूरि -मू.. ...प्रा.सं
जिनपालोध्याय -व. नयचक्रवचनिका अपूर्ण
मध्यम ११९१ उपदेशमालाशकुनावली
मध्यम. ११९२ चंडीशतक जीर्ण ... बाणभट्ट
१५४६ ११९३ ऋषभदेवविवाहलो. ............. श्रेष्ठ... ११९४ भक्तामरस्तोत्र सावचूरिक पंचपाठ ...... अतिजीर्ण,
..........
NYC
१७४६
१९८३
.९१/..११५४ + ११८९
११९२ थी ११९४ .......... का.१०१
११९२ थी ११९४ ......... गा.२४५ ४ ११९२ थी ११९४ ...२७३
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