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मुनिराजश्रीपुण्यविजयानां हस्तप्रतिसंग्रहे मेहमहाभड दलदलण बोहिय देस निवेस
वयरसेणसूरीस नमि फेडिसु पाय असेस ॥३॥ पदमचंदसूरि पयकमल पणमउं मनउलासि
। जस दरिसणि सवि भवियजन पडई भवह पासि । कल्प कथारस पत्थरण विरइय गंथ अणेग
क्षेमकीर्तिसूरि क्षमापरो वंदउं मणसंवेगि ॥४॥ कणइकलस जिम निम्मूलउ ओगुणगण अमीयभंडार
हेमकलससूरिगुरु नमउं कलि गोयम अवयार । जस भरि धवलीय दसइ दिसइ पणवय निदगभाव
पणमउं जसोभद्दसूरि गुरु मदीय भवदवताव ।।५।। सुयजललहिरि सोहामणुए तव जव रयण अधार
रयणायरगच्छमंडणइ ए सूरि रयणायर सारु । तिहुयण जगडण मयणभड हेलां मदीय माण
मणिसेहरिसूरिपयजुयल नमंता नितु सुविहाण ॥६॥ कोह-मोह-भय-मयमयण णाराय रोस दवनीर
धर्मदेवगुणह चलणा नमई ति नरवरवीर । नाणपयासिय समयनय पसाहु
कमलवण चंद नमी मह मणि परमाणंद ॥७॥ जल-थल-खचर जीवगण पालिय अभयादाणि
अभयसिंहसूरि मनि धरउ वरसइ अमीय वक्खाणि । हेमचंदगुरु चंद जिम सिंचइ अमीयरसेण ।
चित्तगच्छि चंदकुलि मंडणा ए बंदउं सूरिकमेण ॥८॥ सयलकलागुणि सयलयुगि पयडिय नियमाहप्प
देसणवसि रसि कुल सनिसि फेडय भवियविकल्प(प्प) । शम दमं संजम निय जम अज्जव–मद्दवजुत्त
जय जय जय जयतिलक गुरु जिणसासणि जयवंत ॥९॥ धरम पयासिय धरणितलि धम्मसेहर गुरुराय
माणिसूरि महिमानिलउ नितु नितु पणमउ पाय । रयणसागरसूरि रंगभरि भवियण सुहदायार
रयणसिंहसूरि सुगुरु नमी तरिसिउं एउ संसार ॥१०॥
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