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अहीं एक हकीकतनी खास नांध लेवी जोईए के जेसलमेर निवासी श्रेष्ठी श्री राजमलजीना सुपुत्र श्रेष्ठी श्री फतेसिंहजी महेताए, भंडारना अन्य ट्रस्टोओनी समक्ष दिल्ही मोकलवाना ग्रन्थोना संबंधां संपूर्ण जवाबदारी न स्वीकारी होत तो आ ग्रन्थोनी माइक्रोफिल्म लेवानुं कार्य न न बनी शकत.
पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीए जेसलमेरथी लखेला पत्रोमा जेसलमेरना भंडारो विषे घणी हकीकती जणावी छे. आमांनी केटलीक हकीकती श्री महावीर जैन विद्यालय ( मुंबई ) द्वारा प्रकाशित 'ज्ञानांजलि - पूज्य मुनि श्री पुण्यविजयजी अभिवादन ग्रंथ 'मांथी जाणी शकाशे.
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पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीए प्रस्तुत ज्ञानभंडारसमुद्धारनुं कार्य कर्तुं ते समयमा जे अनेक महानुभावो जेसलमेर आवेला ते पैकीना केटलाक उल्लेखनीय महानुभावोनी यादी आ प्रमाणे छेडॉ. श्री जितेन्द्रभाई जेटली दार्शनिक ग्रन्थोनी कॉपी अने संशोधन कार्य माटे चारथी पांच महिना रह्या.
पं. श्री बेचरदासजी दोसी काव्यकल्पलतापल्लवशेषनुं संशोधन आदि कार्य माटे आसरे दोढ महिनो रह्या.
जर्मन विद्वान् डो. आल्सडॉर्फ घणा ग्रन्थोनी फोटोकॉपी लेवा माटे चार दिवस रह्या.
भारतीय तत्त्वज्ञाननाऊंडा अभ्यासी पं. श्री दलसुखभाई मालवणिया दर्शनशास्त्रना ग्रन्थोनी कोपीओना संज्ञोधन आदि कार्य माटे चार दिवस रह्या.
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठानना सम्मान्य संचालक पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजी, प्राच्यविद्यामंदिर (वडोदरा) ना मुख्यनियामक श्री डॉ. भोगोलालभाई सांडेसरा तथा श्री अगर चन्दजी नाहटा विविध विषयक अनेक ग्रन्थोना निरीक्षणार्थे आशरे चार दिवस रह्या.
शेठ श्री कस्तुरभाई लालभाई पोताना विशाळ कुटुंब साथे चार दिवस रह्या
शेठ श्री केशवलाल कीलाचंद, शेठ श्री चीमनलाल पोपटलाल, शेठ श्री जेसींगलाल लल्लुभाई झवेरी, श्री केशवलाल मंगळचंद, श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसी तथा श्री फूलचंदजी झाबक आदि अनेक धर्मानुरागी श्रेष्ठीओ पण चार पांच दिवस रह्या. शेठ श्री त्रिक्रमलाल महासुखलाल विशाळ जनसमूह साथे तथा अमदाबाद मोटीपोळ अने नागजी भूदरनी पोळना भाईओनो मोटो समूह चार पांच दिवस रहेल.
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