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विद्वान उपरथी कृति माहिती
१०३ नेमिनाथस्तुति विविधछन्दोबद्ध \ सं. का.४६\ श्रीशैवेयं शिवश (पाकाहेम१२३१२) शिवशर्मसूरि-आचार्य कर्मप्रकृति प्रा. गा.४७५ सिद्धं सिद्धत्थ (जेताजि१५४, जेताजि१७३, जेताजि४१५, पाताखेत३८-२, पाताहेसं११२,
पाताहेसं१७२, खंता१४४, खंता२८२, तालाद३३८, तालाद३४३, तालाद३८१, जेकाजि१२८४) शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ प्रा. गा.११११ अरहन्ते भगवन्ते (जेताजि१५०, जेताजि१६०, जेताजि१८२,
जेताजि१८३, जेताजि१८५, जेताजि४१५, पाताखेत११, पाताखेत४२, पाताखेत५०, पातासंघवीजीर्ण४५, पातासंघवीजीर्ण४६, पातासंघवीजीर्ण७३, पातासंघवी१७४, पातासंघवी६७-१, पातासंघवी१४५-२, पातासंघवी१९३-१, पाताहेसं११०, पाताहेसं११२, पाताहेसं११४, खंता९९, खंता११५, खंता१२०, खंता१२९, खंता२८३, भांता४५,
जेकाजि१२९८) शिवसुन्दर-अज्ञात
पार्श्वनाथ यमकमय स्तव सं. का.७ वरसंवरसंवर... (पाकाहेम७४०३, पाकाहेम१२३६२) शीलचन्द-मुनि
द्वितीयकालग्रहणविधि। प्रा.\ गा.८४\ चउरासीगाहाण वाण (भांता७०) शीलरत्नसूरि-आचार्य
जैनमेघदूतमहाकाव्य-(सं.)टीका सं. (पाकाहेम२६६२) शीलाकाचार्य-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-मानदेवसूरिशिष्य) आचाराङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.१२०००। जयति समस्तवस्तु (जेताजि१, जेताजि२, पातासंघवीजीर्ण४,
पातासंघवीजीर्ण५, पातासंघवी३०, खंतार, खंता४, भांता२९, जेकाजि३, जेकाजि४, जेकाजि१३४९, पाकाहेम९९८९, पाकाहेम१४९२८, पुप्रे४२०) सूत्रकृताङ्गसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं.\ ग्रं.१२८५३\ स्वपरसमयार्थसूच (जेताजि४, जेताजि५, पातासंघवीजीर्ण१०,
पातासंघवी३९, पाताहेसं३, खंता६, खंता७, जेकाजि७, जेकाजि१३५६, पाकाहेम९९९२, पाकाहेम९९९३,
पाकाहेम१०४१०, पाकाहेम१०४६०, पाकाहेम१४७९२) शुभचन्द्राचार्य (दिगम्बर)-आचार्य चन्द्रप्रभपुराण\ सं.\ ग्रं.१५६० (भांका१३५) ज्ञानार्णवसारोद्धार सं. ग्रं.६२२ (जेकाजि५१५, पाकाहेम१४८९६) ज्ञानार्णव सं. (पातासंघवी१४६-१) योगप्रदीप\ सं. (पाकाहेम७००८) शुभशील-मुनि
पुण्यसारकथा पद्य सं.\ ग्रं.१३११ (पाकाहेम१०१८२) शुभशील-गणि
अरजिन चरित्र सं. येनादौ पद्धतिर (पुप्रे४२२) कविशिक्षा-(सं.)काव्यकल्पलता टीकानी (सं.)काव्यकल्पलतामकरन्द टीका सं. (पाकाहेम१२९५८) विद्याविलास कथानक सं.। श्लोक६२४\ द्वीपेत्र भरतेक (पुप्रे४२३) शेरशाह - जुओ - सेरसहि-अज्ञात शोभन-मुनि
शोभनस्तुति। सं.\ का.९६१ भव्याम्भोजविबोध (खंता१०९, खंता७६-१, पाकाहेम१०६६९, पुप्रे४१९-३) श्यामाचार्य-आचार्य प्रज्ञापनासूत्र प्रा. ग्रं.७८८७ नमो अरिहन्ताणं। (जेताजि२७, जेताजि२९, खंता१७, जेकाजि२५, पाकाहेम१००१५,
पाकाहेम१०३६६, पाकाहेम१०५५०, पाकाभाभा२७, पुप्रे४०५) श्रीकण्ठ पण्डित-जैनेतर न्यायटिप्पनक श्रीकण्ठीय। सं.संसारिचेतनवर्ग (तालाद३१२, जेकाजि७१) वृत्तरत्नाकर-(सं.)वृत्ति। सं. (पातासंघवी५६-३) । श्रीचन्द्रसूस्-िआचार्य (प्र. नाम-आचार्य-धनेश्वरसूरि-शिष्य)। गुरु-आचार्य धनेश्वरसूरि अनागतचतुर्विंशतिजिनस्तोत्र प्रा. वीरवरस्स भगवओ.. (पाकाहेम१०२३) जीतकल्पसूत्रनी (प्रा.)चूर्णी- (सं.)टिप्पनक\ सं. ग्रं.११२०\ नत्वा श्रीमन्मह (जेताजि४१७, पाताहेसं१४९,