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विद्वान उपरथी कृति माहिती शशध-जैनेतर
न्यायसिद्धान्तद्वीप। सं.\ श्लोक२५०० (लिंता१४६५) शशधर शर्मा-जैनेतर
शशधरप्रकरण सं. (पाकाहेम१०७१९, पाकाहेम१६६७०) शाकटायन भदन्तपाद-आचार्य-यापनीय केवलीभुक्ति सं.श्लोक३३ (पातासंघवी१३५-२, खंता२७३)
स्त्रीनिर्वाण सं. श्लोक४५ प्रणिपत्य भुक्त (पातासंघवी१३५-२, खंता२७३) शान्तिमन्दिरशिष्य-अज्ञात
थम्भणपासविवाहलुं। मागु. गा.३२ (पाकाहेम१०७९१) शान्तिमाला गणिनी-साध्वीजी
समस्याकाव्यत्रय। सं. (पाकाहेम८४९८) शान्तिसूरि-आचार्य (प्र. नाम-आचार्य-शान्त्याचार्य) जीवविचारप्रकरणी प्रा. गा.५१\ भुवणपईवं वीरं न (पाताखेत१२, पाताखेत५१, पातासंघवी२०२, पातासंघवी६६-३,
पातासंघवी७१-३, पातासंघवी१०४-२, पातासंघवी११७-१, पातासंघवी१३०-१, पाताहेसं११४, पाताहेसं११९, पाताहेसं१२२, पाताहेसं१६१, पाताहेसं१८९, खंता८८, तालाद३३९, डतामुक्ता४६२, पाकाहेम१०२२, पाकाहेम२७२६, पाकाहेम३८९४, पाकाहेम६९५३, पाकाहेम६९५४, पाकाहेम९५०४, पाकाहेम९५४६, पाकाहेम१०५६६, पाकाहेम१०५७६) धर्मरत्नप्रकरण प्रा. गा.१४५ नमिउण सयल गुणरय (जेताजि१५५, जेताजि२३४, पाताखेत२९, पाताखेत४२, पातासंघवी२०२, पातासंघवी६२-१, पातासंघवी६६-३, पाताहेसं१७५, खंता९१, खंता१७५, खंता२८०, तालाद३२६,
जेकाथा४, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम१४८७४) धर्मरत्नप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं. (पाताहेसं१७५, जेकाथा४) पिण्डैषणाशतक प्रा. गा.१०८ (पाकाहेम९५५१) प्रमाणकलिकासूत्र सं.। श्लोक५७ (पाकाहेम६६९१) प्रमाणवार्तिकसूत्र-(सं.)वृत्ति सं. नमः स्वतः प्रमा (जेताजि३७२, पाताखेत२६, पातासंघवी१५४-१, पातासंघवी१८७-१) सीमन्धरजिनस्तवन। अप. गा.८ (पाकाहेम१२१२४) शान्तिसूरि-आचार्य-पूर्णतलगच्छीय तिलकमञ्जरी-(सं.)टीप्पण। सं. श्लोक १०५० सम्यक् नत्वा मह (पातासंघवी६४-३, पुप्रे४३४) शान्तिसूरि वादिवेताल-आचार्य उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहद्वृत्ति। सं.प्रा. श्लोक १३३४५ शिवदाः सन्तु ती (जेताजि९६, जेताजि९७, पातासंघवीजीर्ण७, पातासंघवीर, पातासंघवी३, पाताहेसं२६, पाताहेसं२७, पाताहेसं६८, खंता८२, जेकाजि५५,
पाकाहेम१००८१, पाकाहेम१४७९०, पाकाहेम१४८५२, पाकाहेम१४८८९, पाकाभाभा३४) बृहत् शान्तिस्तोत्र सं. भो भो भव्याः श् (खंता१२५, पाकाहेम१०२३, पाकाहेम१२१२४) शान्त्याचार्य - जुओ - शान्तिसूरि-आचार्य शाम्ब साधु-मुनि जिनशतकमहाकाव्य-(सं.)पञ्जिका टीका\ सं.\ श्लोक १०२५ (पाकाहेम७२३४, पाकाहेम८६४१)
शाम्बपञ्चाशिका सं.श्लोक५३ (पाकाहेम७८७९) शालिभद्रसूरि-आचार्य बुद्धिरास मागु. श्लोक७३ (पाकाहेम१०२२, पाकाहेम१२१२४) बृहत् सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)टीका सं. ग्रं.२५००\ केवलविमलज्ञानाव (जेताजि२००, जेताजि२०१, जेताजि२०२,
पाताहेसं१००, पाताहेसं१८१, तालाद३३२) शाली आगमिक-पं.
अरिष्टनेमिस्तवन नम अक्षरद्वयमय#\ सं. का.९\ मानेनानूनमानेन. (पाकाहेम१२२९३) शिरोमणि भट्टाचार्य - जुओ - रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य-जैनेतर शिवप्रभसूरि-शिष्य - जुओ - तिलकसूरि-आचार्य शिवलक्ष्मी-अज्ञात
आदौ नेमिजिन स्तोत्र सं. का.९\ आदौ नेमिजिनं... (पाकाहेम११६६६, पाकाहेम१२२१७)