________________ बाल 1314 - अभिधानराजेन्द्रः - भाग 5 बाल - - सिक्खावेंतमसिक्खे, मूलक्कदुर्ग तहेक्कं // 238|| एतेसिं चउण्णं गाहाणं इमा सवित्थरा बक्खाणभावणा-उक्कोसगबालं पव्वावेत्ता सिक्खावेंतस्स एगूणतीसं दिवसा मासलहू, असिक्खावेतस्स मासगुरु, अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खावेतस्स मासगुरु, असिक्खावेंतस्स चउलहू अन्ने एगूणतीसं सिक्खावेंतस्स चउगुरू, अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खातस्स चउगुरू, असिक्खावेंतस्सछल्लहू-अन्ने एगूणतीस दिवसे सिक्खावेतस्स छल्लहू, असिक्खावेंतस्स छगुरू, अन्ने एगुणतीसं दिवसे सिक्खावेतस्स छग्गुरु, असिक्खावेतस्स मासलहू छेदो, अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खावेंतस्स मासलहू छेदो , असिक्खावें तस्स मासगुरू छेदो, अन्ने एगुणतीस दिवसे सिक्खावेंतस्स मासगुरू छेदो, असिक्खावेंतस्स चउगुरू छेदो। अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खावेंतस्स चउलहू छेदो, असिक्खावें तस्स चउगुरू छेदो, अन्ने एगूणतीस दिवसे सिक्खावें तस्स चउगुरु छेदो, असिक्खावेतस्स छल्लहू छेदो, अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खावेंतस्स छल्लहू छेदो, असिक्खावें तस्स छग्गुरू छेदो 2 / अन्ने एगूणतीसं दिवसे सिक्खावें तस्स छग्गुरू छेदो, असिक्खवेंतस्स एगदिणे मूलं, ततो सिक्खावेंतस्स एगदिणे मूलं, ततो असिक्खावेंतस्स एगं दिणं अणवटुं, ततो सिक्खवेंतस्स पारंची। अहवा एसेव गमो, दिणाहि सिक्खेतरवजितो होति। मासादी तव छेदो, पणगादीए दिक्केक्कं / / 236 / / अहवा उक्कोसेण बालस्स तवो मासादी चेव छेदो पुण लहु-गुरुगो पणगादी तावणेयव्या जाव छम्मासे सिक्खासिक्खेसु मूलादिया एकेकदिण बहु / गाहाअहवा एसेव तवो, छेदो पणगादितो लहू गुरुगा। जाव च्छम्मासेण उ, तत्तो मूलं दुगं चेव / / 240 / / अथवा उक्कोस बालंपवावेतस्स अउणतीसं दिवसे मासलहुं तवो, अन्ने अउणतीसं दिवसे मासगुरू तवो एवं अउणतीस अछडुंतेहिं चउलहुगा चउगुरू छल्लहू छग्गुरू छेदाय नेयव्वा, मूलादी एके दिणं, एत्थ सिक्खा असिक्खा या न कायव्वा। गाहामज्झिम वीसं लहुगो, सिक्खमसिक्खस्स मासिओ छेदो। अण्णे वीसं लहुओं, छेदेतर मासकं चेव // 241 / / अण्णे वीसं सिक्खे, मांस गुरुया व अस्सिक्खे। छेदो वा गुरुओ वा, सिक्खम्मी चेव चउलहुगा॥२४२।। एवं अद्धोकंती, नेयव्वा जाव छग्गुरुच्छेदो! तेण परं मूलेक्कं , दुगं च एक्के कयं जाण // 243 // अहवा सिक्खाऽसिक्खे, तवछेदा मासियादिजा लहुगां। एवं जा छम्मासा, मूलदुगं वा तहिक्किक्कं / / 244 / / दो लहुया दो गुरुया, तव छेदो जाव हों ति छग्गुरुगा। तेण परं मूलेक्कं, दुगं च एक्कक्कयं जाण // 245 / / एतेसिं दोण्हं गाहाणं इमा भावणा-मज्झिमं पव्वावेत्ता वीस दिवसे, सिक्खावेंतस्स मासलहू तवो, असिक्खावेंतस्स मासलहू छेदो, अन्नं वीस दिवसे सिक्खावेंतस्स मासगुरू तवो, असिक्खायेंतस्स मासगुरू छेदो, अन्ने वीस दिवसे सिक्खावेंतस्स मासगुरु छेदो, असिक्खावेंतस्म चउलहू छेओ, अन्ने वीस दिवसे सिक्खावेंतस्स चउलहू छेदो असि-- क्खावें तस्स चउगुरू तवो। एवं अद्धोक्कतीए तवछेदाणेयव्या जाव छग्गुरू छेदो, ततो सिक्खाऽसिक्खासु मूलाऽणवठ्ठपारंचिया एक्कक्कदिण नेयध्वा / अहवा-मज्झिमे अन्ने वीस दिवसे सिक्खावेंतस्स चउलहू तवो, अण्णे वीस दिवसे सिक्खावेंतस्स चउलहू तवो, असिक्खायेंतस्स चउलहू छंदो, असिक्खा-वेंतस्स छल्लहू तवो, अन्नेवीसं दिवसे सिक्खावेंतस्स छल्लहू तवो, अन्ने वीसं दिवसे सिक्खावेंतस्स छल्लहू छेदो , असिक्खावेंतस्स एगदिणं मूलं सिक्खावेंतस्स एगं दिणं मूलं, असिक्खावेंतस्स एगं दिणं अणवट्ठो, ततो सिक्खावेंतो एग दिणं अणवट्ठो, असिक्खाते पारंची, ततो सिक्खावेंते एग दिणं पारची। ___ इयाणिं जहण्णो वीसं गाहा - एगुणवीस जहण्णे, सिक्खावेंतस्स मासिओ छेदो। सो चेव असिक्ख गुरू, अद्धक्कंतीऍ जा चरिमं / / 246 / / अहवा पढमे छेदो, तद्दिवसं चेव मूलं वा / एमेव होइ वितिए, ततिए पुण होइ मूलं तु // 247 // जहन्नं पव्वावें तो एगूणवीस दिवसे सिक्खावेंतस्स मासलहू छेदो, असिक्खावेंतस्स मासगुरू छेदो, अण्णे एगूणवीस दिवसे सिक्खावेतस्स मासगुरू छेदो, एवं छेदो अद्धोकंतीए णेयव्यो, मूलं अणवढं पारंचिया एककदिणं णेयव्वा / अहवा-उक्कोसबालं पव्वावेंतस्स छेदो भवति, मूल वा एवं वितिए वि मज्झिमे; जहन्ने पुण मूलमेव / चोदकाऽऽह - कहं छेदो मूलं वा ? आचार्यऽऽह - यदि चरणसंभवो ततः छेदो, चरणाभावे मूलं, जधन्ये पुण चरणाभाव एव, तेन मूलं। विविधं बालं पव्वावें तस्स आणादिया इमे दोसा उड्डा हाऽऽदी-- बंभस्स तु चरमफलं, अयगोलो चेव हों ति छक्काया। राईभत्ते चारय, अयसँऽतराए य पडिबंधा।।२४८|| तं बालं दट्ठ अतिसयक्यणेण भणंति गिहिणो अहो इमेसि समणाणं इहभवे चेव बभवयस्स फलं दीसति, अहवा-एतेसिं चेव जणिओ क्ति संकाए चउगुरु, निस्संकिते मूलं / अयगोलोविव अगणिपक्खित्तो सुधंतो अगणिपरिणतो जतो जतो छिप्पइ ततो ततो डहति, एवं सो बालो अयगोलसमाणो मुक्को जतो जतो हिंडति ततोततो छक्कायवहो य भवति। सो य राओ भत्तं पाणं ओभासति, जति राओ देति तो रातीभोयणं विराथितं, अध ण देति तो परियावणाणिप्फण्णं / भणति य लोगोइमस्स बालत्तणे चेव बंधणागारो उववन्नो, इमे य समणा चारपालत्तण करेंति, जेण एवं बालं निरुभंति / अयसो य अध णिरांभंति अयसोणिरणुकंपा समणा, बला य बाले णिरुभति, अंतराय भवति, बालपडिबंधेण य ते ण विहरति जे णितियवासे दोसा ते वा भवंति।