________________ जोगविहि 1648 - अभिधानराजेन्द्रः भाग - 4 जोगविहि " इक्कसरं 1 चउ 3 चउतिय, उद्देसा तउ पणेगसरा 10 // ठाणा अठारस दिणा, उसगइगदुनंदि तिन्नि दिणा" ||1| इयाणिं भगवई। सा य छमासेहिं छहिं दिणेहिं ओउत्तवाणए एवं वचइ। इत्थ नत्थि सुयक्खंधो / सयाणि पुण इकतालीसं, सत्तरं काला। इत्थ विवाहपन्नत्तिअंगं नंदीए उद्दिसिय पढमसयं उद्दिसिज्जइ / तत्थ य उद्देसा दस इक्किक्कदिरेण दो दो जंति, एवं दिणा 5 / वीयसए वि दस उद्देसगा, नवरं पढमो खंदगुद्देसओ आयंविलदुगेण सपाणभोयणाहिं पंचहिं दत्तीहिं दोहिं दिणेहिं वचइ, सेसा नवुद्देसा पंचहिं दिणेहिं, एवं दिणा सत्त। तइयसए देसुद्देसो पढपउद्देसओ एगदिणेण वचइ, वीओ चमरुद्देसओ खंदओ अदोहिं दिणेहिं वचइ। एवं पन्नरसेहिं कालेहिं चमरेहिं अणुन्नाए ओगाहिमविगइविसज्जणत्थं अदुस्सासो काउस्सग्गो कीरइ, छट्ठ जोगो वि लग्गइ। पंच निव्विइया, छटुं आयंबिलं। तहा मोइयवधारियतीसणाइ कप्पइ / सेसा अट्ठद्देसा चउहिं दिणेहिं वच्चंति। चउत्थसए दस उद्देसा। तत्थ पढमा अट्ठ आइल्लअंतिल्ल त्ति काउस्सग्गेहिं एगदिणेण जंति। सेसा दो उद्देसगा अस्सग्गेहिं एगेहिं दिणेण जंति / सव्वदिणं वीसं / नवमदसमसएसु चउतीस उद्देसा, नव नव वग्गा, इकिक दिणं / इकारसमे सए उद्देसा 12 दिन बारसमे तेरसमे चउदसमे य उद्धेसा 10 दिन 2 / इक्किक्कदिणे पन्नरसमे गासालए आयामदुर्ग, सपाणभोयणाओ तिन्नि दत्तीओ, दो दिणे, एवं एगेण चत्ताए कालेहिं गोसाले अणुन्नाए अट्ठमंजोगो लग्गइ, सत्त निव्विइया, अट्ठमं आइल्लं पुण अट्ठमचउदसीसु आयामं। सेसाणिछव्वीसं सयाणि नव नव उस्सगेहिं इक्विक्कदिणेण जंति। तत्थ सोलसमे सए उद्देसा 14 / सत्तरसमे उद्देसा 17 / अट्ठारसमे उद्देसा 10 // एगुणवीसइमे उद्देसा 10 / वीसइमे उद्देसा 10 / इक्कवीसइमे उद्धेसा 50 / वावीसइमे उद्देसा 60 / तेवीसइमे उद्देसा 50 / करिसुगसुए 27 उद्देसा 11 / कम्मसमजिणाणसए 28 उद्देसा 11 / उव्वट्टणासए 32 उद्देसा 28 / एगिदियजुम्मसयाणि बारस 32 / तेसु चउवीसगसयं दुहा काउं 62 / सेढीसयाणि बारस 35 उद्देसा 124 / एगिंदियमहाकम्मसयाणि बारस 35 उद्देसा 132 / बेइंदियमहाजुम्मसयाणि बारस 37 उद्देसा 132 / चरिंदियमहाजुम्मसयाणि बारस 36 उद्देसा 132 / सन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयाणि बारस 40 उद्देसा 132 / रासीजुम्मसए 41 उद्देसा 166 / एवं काला 75 अंगसमुद्देसे अणुन्नाए य इक्किकं दिणं / एवं सव्दे सत्तहत्तरि काला अणुनाए नंदीए नामं ठविजइ। "नायसुए गुणवीसं, एगारसऽझयण पढमसुयखंधे। वीए पुण दस वग्गा, पण नंदी दिवस तित्तीसं // 1 // दुसु दुसु वग्गेसु कमा, अज्झयणा हुंति दस य चउपन्ना। बत्तीसा चउ अहूं, धम्मकहा बीयसुयखंधे / / 2 // सत्तमए पुण अंगे, दस अज्झयणाणि एगसरयाणि / चउदस दिण नंदितियं, एगो य तहा सुयक्खंधो / / 3 / / बारस दिण अट्ठमए, अंगे वग्गद्दएसु अज्झयणा। दस अट्ठ तेर दस दस, सोलस तेरस दस कमेण // 4 // नवमंगे सत्त दिणा, वग्गतिए तेसु अज्झयणसंखा। दसगं तेरस दसगं, नंदितियं एगसुयखंधो // 5 // दसमंगे एगसरा, दस अज्झयणाणि चउदस दिणा य। बूढाइ भगवईए, कप्पइ इह छट्ठजोगि व्व / / 6 / / पढमम्मी सुयखंधे, एगसरा दस हवंति अज्झयणा। वीए विदसेगसरा, चउवीस दिणा विवागसुए " // 7 // इयाणिं उबंगा-आयारे उवाइयं 1, सूयगडे रायपसेणइयं 2, ठाण्णे जीवामिगमो 3, समवाए पन्नवणा 4, एए उक्कालिया। भगवईए सूरपन्नत्ती 5, नायाणं जंबुद्दीवपन्नत्ती 6, उवासगदसाणं चंदपन्नत्ती 7 / एए कालिया। सव्वे वि उद्देससमुद्देसअणुनत्थं आयंबिलतिगेण वचंति / अन्नेसिं पुण पन्नवणजुत्ते जोगमज्झे आयंबिलतिगपूरणत्थं वि वचंति। अंतगडदसाइपंचन्हमंगाणं निरयावलियसुयक्खंधो उवंगं / तम्मि पंच वग्गा-कप्पियाओ, कप्पवडिं सियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ। एएसुचउसु दस दस अज्झयणा। वन्हिदसासु वारस। एवं दिणा 5, सूयक्खंधे दिणा 2, सव्वे दिणा 7 / अहुणा छे अग्गंथा-निसीहज्झयणा एगसरा दिन 18, सुयखंधे दिन 2, एवं वीसं दिणा। " पढमेगसरं नव सोल सोल वारस, चउक्क छग वीसा। सत्तऽझयणेसु निवियं, पइन्नगं तत्थ नंदीए" // 1 // अणुओगदाराणं तिन्नि निव्विइइया। देविंदत्थया तंदुलवेयालियं चंदाविजया आउरपचक्खाणं गणिविज्जा / एवमाइसु इक्विक निव्वीइयं / / एवं आवश्यके दिन 8, दशवैकालिके दिन 15, (मंडलिके७) उत्तराध्ययने 36, आचारांगे 50, सूत्रे 30, ठाणांगे 18, समवायांगे 3, भगवती 186, ज्ञाताधर्मकथा 33, उपासकदशांग 14, अंतगडदशा 12, अणुत्तरोववाई 7, पण्हवागरण 14, विपाक 24, उवाई 3, रायपसेणी 3, जीवाभिगम 3, पण्णवणा 3, सूर्यप्रज्ञप्ति ३,जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति 3, चन्द्रप्रज्ञप्ति 3, निरयावली 7, निशीथ 10, कल्पभाष्य 20, महानिशीथ 45, पंचकल्प 1, जीतकल्प 1, नंदी 3, अनुयोगद्वार 2, ग०१। सर्वसंख्या इगुवीस मास, दिन 6, संपयं आउत्तवाणए कप्पाकप्पविही। तत्थसगच्छसंघाडयच्छिन्नाणंजोगवाहिसन्नी असज्झायं