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________________ जोगविहि 1645 - अभिधानराजेन्द्रः भाग-४ जोगविहि सामन्नपुस्वियं अज्झयणे, तइयज्झयणस्स सिलोगं च / एवमुत्तराए चिंतिए पुव्वाए दाहिणाए पच्छिमाए चिंतेइ, पुणो उत्त- / राए बाहाओ अवलंविय नमुक्कारं चिंतेइ, पारित्ता नमुक्कारं कड्डित्ता मत्थएण वंदामि आवसी इच्छं इचाइविहिणा ठवणायरियसमीवे पवेसिय खमासमणपुव्वं इरियं पडिक्कमइ ; काउस्सग्गे नमुक्कारं चिंतिय भणित्ता य खमासमणपुव्वे पुत्तिं पेहिय वंदणं दाउंइच्छाकारेण संदिसह वाघाइअकालं पवेसिउं, इच्छं खमासमण इच्छकारि साहवो वाघाइयकालो सुज्झइ / भगवन् ! सुद्धो वाघाइओ कालो सुद्धो। तओ मंगलाइसज्झायं करंति। दंडधरो खमासमणपुव्वं भणइसाहवो ! दिलु सुयं किंचि पुच्छिए, सुद्धो कालो। एवं अद्धरत्तियपाभाइया वि धिप्पंति। केवलं तयभावे पाभाइए इच्छाकारेण संदिसह पाभाइओ काललिओ० जाव सुद्ध त्ति भन्नइ / एवं सुद्धे काले पाभाइए य ठवणायरियसमीवे गुरूहिं समं खमासमणपुव्वं पुत्तिं पेहिय वंदणे दिन्ने | साहवो भणंति-इच्छाकारेण संदिसह सज्झायं संदिसाविउं / गुरू भणइसंदिसावेह / साहवो इच्छं ति भणिय खमासमणं दाऊण भणंति-इच्छाकारेण संदिसह सज्झायं पट्टविउं / गुरू भणइ-पट्टवेह / साहवो इच्छं ति भणंति / तओ गुरूहि एवं चेव पहाविए सव्वे भणंति-सज्झायस्स पट्ठावणियं करेमि काउस्सग्गमिच्चाइ० जाव वोसिरामि / तओ नमुक्कारं चिंतिय सणियं सणियं बाहाओ साहुटु सत्तावीसुस्सासं चउवीसत्थयं दुमपुफियं सामण्णपुस्वियं तइयज्झयणसिलोगं च चिंतिय बाहाओ अवलंबिय नमुक्कारं चिंतिय पारित्ता नमुक्कारं भणिय वंदणं दाउं गुरुं भणइ-इच्छाकारेण संदिसह सज्झायं पवेइउं इच्छं पुणो खमासमणपुव्वं भणइ-इच्छकारि साहवो सज्झाओ सुज्झइ। भगवन् ! सुद्धो सज्झाओ सुद्धो / एवं साहूहिं वि गुरु-पुरओ पवेइए सव्वे समगं सज्झायं करिति / तओ वंदणगं स-ज्झायं करिति / तओ वंदणगं दाउं गुरूहि वइसणगे संदिसा-विए खमासमणपुव्वं वइसणगे ठामित्ति भणिए इयरे वि तहेव करिति / पाभाइयसज्झायं पुण तओ०जाव सुद्ध त्ति भन्नइ / अत्रापि क्षुतस्खलिताऽऽदिभिः कालव्याघातः / एवं सुद्धे स-ज्झाए पोरिसिं०जाव सज्झाइत्ता ठवणायरियसमीवे खमा-समणपुव्वं इच्छाकारेण संदिसह सज्झायं पडिक्कमिउं इच्दं सज्झायपडिक्कमावणियं करेमिकाउस्सग्गमिच्चाइ नमुक्कारचिंतणं, भणण्णं च। एवं कालपडिक्कमणं पिपाभाइए पुण पच्छिमपोरि-सीए पुणो वि सज्झायं पट्टविय करिय पडिक्कमिय कालो पडिक्कमेयव्वो। असुद्धे पुण पाभाइए अन्नो वि कालो सुपडिजग्गिओ पाभाइयठाणे ठाएयव्वो॥ दारं // 6 // "जोगिगुणा 1 जोगुक्खिव 2, सुय अंगुद्देसऽणुन नंदी य 3 / जोगाणुट्टाणविही 4, कप्पु 5 स्संघट्ट 6 निक्खेवो। 1 / तत्थगुरुभत्तो अपमत्तो, खंतोय निरुयगत्तो। धीरचित्तो दढसत्तो, विणयजुतो भवविरत्तो।।२।। जियलोहो जियनिद्दो, हियपियमियर्जपिरो मिउ असत्थो। अप्पाहारो अप्पो-वहीय दक्खो सुदक्खिन्नो // 3 // पंचसमिओ तिगुत्तो, उज्जुत्तो संजमे तवे चरणे। परिसहसह होइ मुणी, विसेसओ जोगवाहि त्ति।।४।। कयसोहिलोयकम्मे, तिवासपरियाइएण कालेण। आयारपकप्पाई, उद्दिसिउं कप्पई जुग्गो" | // 5 // तत्थ जोगा दुविहागणिजोगा, बाहिरजोगा य / गणिजोगा विवाहपन्नत्ती, बाहिरजोगा उक्कालिया। उक्कालिया आवस्सगाई। ते पुण संघट्टयं, कालिए सुसंघट्टयं / ते दुविहा-आगाढा, अणागाढा य / आगाढा-उत्तरज्झयणासत्तिक्कयाविवाहपन्नत्तीपन्हवागरणमहानिसीहाणि / आगाढा नाम-सव्वसम्मत्तीए उत्तरिजइत्ति काउं आगाढेसु उत्तरज्झयणवजेसु आउवाणयं च हवइ / सेसा सध्वे अणागाढा / असम्मत्तीए वि कारणे दिणतिगाणंतरं उत्तरेजइ त्ति गोसे पडिक्कमणाणंतरं चूलियाए पवेइयाए पडिलेहणाणंतरं वसहीए पवेइआए साहू उवओगं करिय गंधे आणिय गओ पुरओ पुत्तिं पेहिय खमासमणपुव्वं भणइइच्छकारि तुम्हे अम्हे जोगुक्खेवावणियं देवे वंदावेह / तओ सक्कत्थयं भणिय खमासमणपुव्वं जोगुक्खेवावणियं सत्तावीसुस्सासं काउस्सगं रज्जं करिय चउवीसत्थयं भणइ / कालिएसु पुण गुरूहिं जोगवाहिए सज्झायपट्टविए जोगुक्खेवे कए सुयक्खंधस्स अंगस्स उद्देसे अणुन्ना य नंदी भवइ। तत्थ खमासमणपुव्वं अमुगसुयक्खंधं अंगउद्देसावणियं वा नंदिकवावणियं वा सनिक्खेवं करेह। एवं देवे वंदावेह। तओ वटुंतियाहिं थुईहिं देवे वंदिय बारसावत्तं वंदणं देइ / तओ दो वि नंदिकड्डावणियं सत्तावीसुस्सासं काउस्सग करिति, चउवीसत्थयं भणंति। तओ गुरू नमुक्कारपुव्वं नंदि कड्डइ / सा चेयंनाणं पंचविहं पण्णतं / तंजहा-आमिणिबोहियनाणं,सुयणाणं, ओहिनाणं, मणपज्जवनाणं, केवलनाणं / तत्थ चत्तारि नाणाई ठप्पाइं ठवणिज्जाई नो उद्धिसिजंति, नो समुद्दिसिजंति, नो अणुनविखंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्नाणुओगो य पवत्तइ / जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्नाणुओगो य पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्नाणुओगो य पवत्तइ ? अंगपविट्ठस्स जइ उद्देसो समुद्देसो अणुनाणुओगो पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि
SR No.016146
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri
PublisherRajendrasuri Shatabdi Shodh Samsthan
Publication Year2014
Total Pages1456
LanguageHindi
ClassificationDictionary
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