________________ णमो समणस्स भगवओ महावीरस्स श्री सौधर्मबृहत्तपोगच्छीय विश्वपूज्य प्रातःस्मरणीय कल्पप्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर, पट्टप्रभावक चर्चाचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय धनचन्द्रसूरीश्वर, साहित्यविशारद विद्याभूषण श्रीमद् विजय भूपेन्द्रसूरीश्वर, व्याख्यानवाचस्पति श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वर, शान्तमूर्ति कविरत्न श्रीमद् विजय विद्याचन्द्रसूरीश्वरगुरुभ्यो नमः / सकल-आगम रहस्यवेदी कलिकाल सर्वज्ञ कल्प विद्वन्मान्य प्रातः स्मरणीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. निर्मित श्री अभिधानराजेन्द्रः (सकल आगमों के समस्त संकलित शब्दों का ससंदर्भ ज्ञानमय कोष अर्थात् जिनागम कुञ्जी) तृतीयो भागः ('ए' से 'छोह') मुनिराज दीपविजय-यतीन्द्रविजयाभ्यां प्रथमा आवृति संशोधिता संपादिता च प्रस्तुत तृतीय संस्करण प्रकाशन के प्रेरणादाता साल गच्छाधिपति-शासन सम्राट-धर्म चक्रवर्ती-राष्ट्रसन्त-श्रुत दिवाकर-स्मित भास्कर-अनेकांत के प्रस्तोता-श्रमण शाश्वत धर्म के प्राण व दिशादर्शक-क्षमा दानेश्वरी-जन जन के वात्सल्य महोदधि सत्साहित्य विधायक-जीव जगत के अक्षय अभयारण्यश्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी महाराज साहब प्रकाशक श्री राजेन्द्रसूरि शताब्दि शोध संस्थान, उज्जैन (M.P.)