________________ [शब्दरूपावलिः (164) [प्राकृत] अभिधानराजेन्द्रपरिशिष्टम् 3 / इकारान्तः पुंल्लिङ्गो "गिरि' शब्दः / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / तृतीया रमाए, रमाअ, रमाइ ("टाङस्डेरदादिदेवा तु ङसेः" रमाहि, रमीहिँ , रमाहि। 1 / 8 / 3 / 26 / स्त्रियां वर्तमानान्नाम्नः परेषां टाडस ङीनां प्रत्येकम् अत्, आत्, इत्, एत् एते चत्वार आदेशाः सप्राग्दीर्घा भवन्ति, डसेस्तु पुनरेते वा भवन्ति। 'नात आत्॥८३॥३०॥ स्त्रियां वर्तमानादादन्तानाम्नः परेषां टाडस् डिडसीनाभादादेशो न भवति।) रमाए, रमाअ, रमाइ। रमाणं, रमाण। पञ्चमी रमाए, रमाअ, रमाइ, रमत्तो, रमाओ, रमाउ.) रमत्तो, रमाओ, रमाउ, रमाहिन्तो, रमासुन्तो। रमाहिन्तो। रमाए, रमाअ, रमाइ। रमाणं, रमाण। सप्तमी रमाए, रमाअ, रमाइ। स्मासु, रमासु। संबोधनम् हे रमे, हे रमा। हे रमाओ, हे रमाउ, हे रमा। चतुर्थी षष्ठी :::::61: 911 11:111:111:111: 51 षष्ठी इकान्तः स्त्रीलिङ्गो रुचिशब्दः / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा रुई ('अक्लीबे सौ // 13 // 16 // इदुतोऽक्लीबे नपुंसका- रुईओ, रुईउ, रुई। दन्यत्र सौ दीर्घा भवति / बुद्धी।)। द्वितीया रुईओ, रुईउ, रुई। तृतीया रुईअ, रुईआ, रुईई, रुईए। रुईहिं, रुईहि, रुईहि। चतुर्थी रुईअ, रुईआ, रुईइ, रुईए। रुईणं, रुईण। पञ्चमी रुईअ, रुईआ, रुईइ, रुईए, रुइत्तो, रुईओ, रुईउ.) रुइत्तो, रुईओ, रुईउ, रुईहिन्तो, रुईसुन्तो। रुईहिन्तो। रुईआ, रुईअ, रुईइ, रुईए। रुईणं, रुईण। सप्तमी रुईअ, रुईआ, रुईइ, रुईए। रुईसु, रुईसु। संबोधनम् हेरुई,हे रुइ। हे रुईओ, हेरुईउ, हे रुई। ईकारान्तः स्त्रीलिङ्गो नदीशब्दः / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा नई, नईआ ("ईतः सेश्वावा" || 28| स्त्रियां नई, नईआ, नईउ, नईओ। वर्तमानादीकारान्तात् सेर्जस्शसोश्च स्थाने आकारो वा भवति।) द्वितीया नई। नई, नईआ, नईउ, नईओ। तृतीया नईअ, नईआ, नईइ, नईए। नईहि, नईहि, नईहि। चतुर्थी नईअ, नईआ, नईइ, नईए। नईणं, नईण। पञ्चमी नईअ, नईआ, नईइ. नईए, नइत्तो, नईओ, नईउ,) नइत्तो, नईओ, नईउ, नईहिन्तो, नईसुन्तो। नईहिन्तो। नईअ, नईआ, नईइ, नईए / नईणं, नईण। सप्तमी नईअ, नईआ, नईइ, नईए। नईसं, नईसु। संबोधनम् हे नई, हे नइ। हे नईओ, हे नईउ, हे नई, हे नईआ। स्त्रीशब्दरूपाणि / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा इत्थी, इत्थीआ। इत्थी, इत्थीओ, इत्थीउ, इत्थीआ। द्वितीया इत्थिं / इत्थी, इत्थीओ, इत्थीउ, इत्थीआ। तृतीया इत्थीअ, इत्थीआ, इत्थीइ, इत्थीए। इत्थीहिं, इत्थीहि, इत्थीहि। षष्ठी