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________________ रामनाथ पाठक] [विष्णुकान्त मा प्रधान सम्पादक हैं । इस ग्रन्थमाला से प्रकाशित सभी ग्रन्थों के सविमर्श सटिप्पण सानुवाद सम्पादक आप ही हैं। आपने अपनी प्रथम स्व० पत्नी 'इन्दुमती' के नाम पर शताधिक संस्कृत ग्रन्थों की सविमर्श टीका-टिप्पणी लिखी है और अहर्निश लिख रहे हैं। रामनाथ पाठक 'प्रणयी'-शाहाबाद जिले (बिहार) के धनाहाँ नामक ग्राम में जन्म । साहित्य, व्याकरण तथा आयुर्वेद में आचार्य की उपाधि तथा संस्कृत एवं प्राकृत में एम० ए० । सम्प्रति एच० डी० जैन कॉलेज धारा में संस्कृत-प्राकृत के प्राध्यापक । 'राष्ट्र-वाणी' नामक पुस्तक में नवीन शैली के संस्कृत गीत । संस्कृत में गड एवं पद्य दोनों में रचना। हिन्दी एवं भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि । 'राष्ट्र-वाणी' की कविता आधुनिक विचारों से पूर्ण है। इसमें देश-देश की प्राकृतिक निधि, देशभक्ति तथा राष्ट्रप्रेम को आधार बनाकर नवगीतों की रचना की गयी है । भावों और छन्दों में जीवन्तता एवं भाषा में सरलता है। 'अहम्' नामक कविता देखें-अहमस्मि रणभेरीरवः ? प्रतिपक्षि हृदय-विदारकः, मदमत्त-कुन्जर-मारकः, पवि-पुरुष-हृदय-स्पन्दनो वननन्दनः कष्ठीरवः । अहमस्मि रणभेरीरवः। इसमें कुल ७५ गीत हैं तथा 'अहम्' और 'बननि' शीर्षक दो आत्मपरक गीत भी संकलित हैं। पुस्तक संवत् २००८ में प्रकाशित रामरूप पाठक-इनका जन्म बिहार राज्य के शाहाबाद जिलान्तर्गत सासाराम शहर में दिनांक २६।१२।१८९१ ई० को हुआ था। इनके पिता पं० विश्वेश्वर पाठक संस्कृत के विद्वान् एवं हिन्दी के सुकवि थे जिन्होंने व्रजभाषा में 'भागवतचूर्णिका' नामक पुस्तक का प्रणयन किया है। श्रीरामरूप पाठक जी साहित्याचार्य हैं। इन्होंने 'चित्रकाव्यकोतुकम्' नामक अत्यन्त प्रौढ़ चित्रकाव्य की रचना की है जिस पर इन्हें १९६७ ई० में साहित्यअकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कवि कृत अन्य काव्यअन्य हैं-'दासाहंचरितम्' 'समस्यासंग्रहः' 'तेजोलिङ्गकथा', 'एकलिङ्गकथा', 'धर्मपालकथा' 'कामेश्वरकथा' तथा 'श्रीरामचरितम्'। विश्वेश्वर आचार्य-ये वृन्दावनस्थ गुरुकुल विश्वविद्यालय के आचार्य एवं अनुसन्धान संचालक थे। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जिले के मकतुल ग्राम में हुआ था। इन्होंने एम०ए० एवं सिद्धान्तशिरोमणि परीक्षाएं उत्तीर्ण की थीं। इन्होंने संस्कृत में 'दर्शन-मीमांसा', 'नीतिशास्त्रम्', 'मनोविज्ञानमीमांसा', 'पाश्चात्यतकंशास्त्रम्' 'साहित्यमीमांसा' एवं 'वैदिकसाहित्यकौमुदी' नामक ग्रन्थों का प्रणयन किया है । ये दर्शन एवं काव्यशास्त्र के प्रकाण्ड पंडित थे। इन्होंने हिन्दी में 'ध्वन्यालोक, काव्यप्रकाश, काव्यालंकारसूत्र, अभिनवभारती, अभिधावृत्तिमातृका, नाट्यदर्पण, वक्रोक्तिजीवित, भक्तिरसामृतसिन्धु, तर्कभाषा, न्यायकुसुमाञ्जलि एवं निरुक्त का विस्तृत भाष्य प्रस्तुत किया है । इनका निधन ३० जुलाई १९६२ ई० को हुआ। विष्णुकान्त झा-बिहार के प्रसिद्ध ज्योतिषी एवं हस्तरेखाविद् । पटना जिले (बिहार) के वैकुण्ठपुर नामक ग्राम में संवत् १९६८ आश्विन कृष्ण मातृनवमी शनिवार को मैथिलब्राह्मण परिवार में जन्म हुआ था। पिता पं० उग्रनाथ शा सुप्रसिद्ध विद्वान्
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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