SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 675
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्कन्दपुराण] (६६४) [स्कन्दपुराण १. सनत्कुमार संहिता-३६,००० २ सूत संहिता- ६,००० ३. शंकर संहिता- ३०,००० ४. वैष्णव संहिता- ५,००० ह्य सहिता- ३,००० ६. सौर संहिता- १,००० २१,००० संहिताओं में 'सूतसंहिता' का शिवोपासना के कारणसर्वाधिक महत्व है। इसमें वैदिक एवं तान्त्रिक दोनों प्रकार की पूजाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है । इस संहिता के ऊपर माधवाचार्य ने 'तात्पर्य-दीपिका' नामक अत्यन्त प्रामाणिक एवं विस्तृत टीका लिखी है जो आनन्दाश्रम से प्रकाशित हो चुकी है। इस संहिता के चार खण हैं। प्रथम खण को 'शिवमाहात्म्य' कहते हैं जिसके १३ अध्यायों में शिवमहिमा का निदर्शन किया गया है। इसके द्वितीय खम को 'मानयोग' खण्ड कहते हैं जिसके बोस अध्यायों में बाचार धर्म तथा हठयोग की प्रक्रिया का विवेचन है। इसके तृतीय खण्ड को 'मुक्तिसम' कहते हैं जिसमें मुक्ति के साधनों का वर्णन नौ अध्यायों में है । चतुषं मग का नाम है 'यशवैभवखण्ड' जो सभी खण्डों में बड़ा है तथा इसके पूर्व एवं उत्तर भाग के नाम से दो विभाग किये गए हैं। इसके पूर्व भाग में ४७ अध्याय एवं उत्तर भाग में २० अध्याय हैं। पूर्व भाग में अद्वैत वेदान्त के सिद्धान्तों को शिवभक्ति से संपृक्त करते हुए वणित किया गया है। इस संहिता के उत्तर खण्ड में दो गीताएं मिलती हैं, जो १२ एवं ८ अध्यायों में समाप्त हुई हैं। इनमें प्रथम का नाम 'ब्रह्मगीता' एवं हितीय का नाम 'सूतगीता' है। _ 'शंकरसंहिता' कई खण्डों में विभाजित है। इसका प्रथम खण्ड सम्पूर्ण संहिता का बाधा है, जिसमें १३००० हजार श्लोक हैं। इसमें सात काम है-सम्भवकाण्ड, बासुरकाण्ड, माहेन्द्रकाण्ड, युद्धकाम, देवकाण्ड, दक्षकाण्ड तथा उपदेशकाण। सनत्कुमार संहिता के अतिरिक्त अन्य संहितायें सम्प्रति उपलब्ध नहीं होती। समक्रम से स्कन्दपुराण का परिचय-१. माहेश्वरीख-इसमें केदार एवं कुमारिका नामक दो बम हैं। इनमें शिव-पार्वती की बहुविध लीलाओं का वर्णन किया गया है । २. वैष्णवसण-इसमें जगन्नाथ जी के मन्दिर, पूजाविधान, माहात्म्य तपा तद्विषयक अनेक उपास्यान दिये गए हैं और शिवलिंग के आविर्भाव एवं माहात्म्य का विस्तारपूर्वक वर्णन है।. ३. ब्रह्मवण-इस खण में ब्रह्मारण्य एवं ब्रह्मोत्तर नामक दो खण हैं। प्रथम में धर्मारण्य नामक स्थान की महत्ता का प्रतिपादन है तो द्वितीय सम में उज्जैनी के महाकाल की प्रतिष्य एवं पूजन-विधि का वर्णन है । ४. काशीखण्डइसमें काशी स्थित समस्त देवताओं तथा शिवलिंग का माहात्म्य वर्णित है और काशी का भूगोल दिया गया है। ५. रेवाख-इस खण्ड में नर्मदा नदी के उद्भव की कथा दी गयी है तथा उसके तटवर्ती समस्त तीयों का वर्णन है। रेवाखण्ड में ही सुप्रसिद्ध 'सत्यनारायणवत' की कथा वर्णित है। ६. बबन्तिखण्ड-स सण में अवन्ती या
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy