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________________ देवीसंहार] [वेणीसंहार रूपाचार्य उसे सान्त्वना देकर तथा द्रोणाचार्य के वध का प्रतीकार करने के लिए उसे दुर्योधन के पास ले जाकर सेनाध्यक्ष बनाने के लिए अनुरोध करते हैं। पर, दुर्योधन ने इसके पूर्व ही कणं को सेनापति बनाने का वचन दे दिया है। इस पर कर्ण एवं अश्वत्थामा के बीच भीषण वाग्युद्ध होता है और अश्वत्थामा प्रतिज्ञा करता है कि जब तक कर्ण जीवित रहेगा तब तक वह अस्त्र नहीं ग्रहण करेगा। इसी बीच नेपथ्य से भीमसेन की ललकार सुनाई पड़ती है और वे दुःशासन को पकड़कर उसे बचाने के लिए कौरवों को चुनौती देते हैं। दुर्योधन, कर्ण एवं अश्वत्थामा उसकी रक्षा के लिए आते हैं तब तक भीमसेन दुःशासन का वध कर अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण कर लेता है। चतुर्थ अंक में युद्ध में आहत दुर्योधन घर आता है और उसे दुःशासन के वध की सूचना प्राप्त होती है। जब वह शोकग्रस्त होकर रुदन करता है। उसी समय सुन्दरक नामक दूत आकर उसे युद्ध की स्थिति का पता बताता है। दूत कणं का एक पत्र भी देता है जो दुःखातिरेक से पूर्ण है। दुर्योधन उसे पढ़कर पुनः युद्धस्थल में जाने को उद्यत होता है, किन्तु उसी समय गांधारी, धृतराष्ट्र तथा संजय के आगमन से रुक जाता है। पंचम अंक में धृतराष्ट्र एवं गान्धारी द्वारा दुर्योधन को समझाने एवं सन्धि कर युद्ध की विभीषिका को बन्द करने का प्रस्ताव वर्णित है, पर दुर्योधन उनसे सहमति नहीं प्रकट करता। उसी समय कर्ण के मारे जाने की सूचना प्राप्त होती है और दुर्योधन युद्ध के लिए प्रस्थान करता है। दुर्योधन को खोजते हुए भीम एवं अर्जुन आते हैं और गांधारी तथा धृतराष्ट्र को प्रणाम करते हैं। भीम प्रणाम करते हुए भी कटूक्तियों का प्रयोग करता है । दुर्योधन भीम को फटकारता है तथा दोनों में वाग्ययुद्ध होता है । इसी बीच भीम और अर्जुन को युधिष्ठिर का आदेश प्राप्त होता है कि सन्ध्या हो गयी है और युद्ध-समाप्ति का समय हो गया है। तभी अश्वत्थामा आकर दुर्योधन से कणं की निन्दा कर स्वयं अपने बाहुबल से पाण्डवों का संहार करने की बात कहता है । पर, दुर्योधन उसे उपालम्भ देते हुए कहता है कि जिस प्रकार उसने कर्ण के वध की प्रतीक्षा की है उसी प्रकार अब दुर्योधन की मृत्यु की भी प्रतीक्षा करे। अश्वत्थामा अपमानित होकर चला जाता है, पर धृतराष्ट्र संजय को भेज कर उसके क्रोध को शान्त करने का प्रयास करते हैं। __छठे अङ्क में नाटककार ने अत्यन्त रोचकता के साथ कथानक में नया मोड़ दिया है । युधिष्ठिर चिन्तित मुद्रा में दिखाई पड़ते हैं। उनकी चिन्ता का कारण है भीम की यह प्रतिज्ञा जिसके अनुसार यदि वे सन्ध्या समय तक दुर्योधन का वध न करें तो स्वयं प्राण दे देंगे। यह बात सुनते ही दुर्योधन छिप जाता है और बहुत खोज करने पर भी उसका पता नहीं चलता। उसी समय श्रीकृष्ण का सन्देश लेकर एक दूत आता है और यह सूचना देता है कि भीम और दुर्योधन में गदा-युद्ध हो रहा है जिसमें भीम की विजय निश्चित है, अतः वे शीघ्र ही राज्याभिषेक की तैयारी करें। युधिष्ठिर हषित है और द्रौपदी 'वेणीसंहार' का उत्सव मनाने के लिए तत्पर है। उसी समय
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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