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________________ यूरोपीय विद्वान् और संस्कृत ] ( ४४५ ) [यूरोपीय विद्वान् और संस्कृत जर्मन पण्डित डॉ० थीबो मैक्समूलर के सम्पर्क में आकर संस्कृत अध्ययन की ओर प्रवृत्त हुए थे। ये १८८५ ई० में बनारस में अध्यापक होकर आये थे और वहाँ १८८० ई० तक रहे। इन्होंने मीमांसा एवं ज्योतिष और निबन्ध लिखा था शंकर एवं रामानुज सहित 'वेदान्तसूत्र' का भाष्य प्रकाशित किया। जैन साहित्य के मर्मज्ञ प्रो० जकोबी ने जैनसूत्रों का अनुवाद किया है । पाणिनि के ऊपर गोल्डस्टूकर ने अत्यन्त प्रामाणिक ग्रन्थ लिखा है। ( अंग्रेजी में )। इसमें पाणिनि के स्थितिकाल पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया है। संस्कृत वाङ्मय के हस्तलिखिति ग्रन्थों का विवरण तैयार कर डॉ० अफेक्ट ने 'केटेलोगस केटेगोरम' नामक बृहद् सूचीग्रन्थ की रचना की। इसी प्रकार अंगरेज विद्वान् मुइर कृत 'ओरिजिनल संस्कृत टेस्ट' नामक ५ खण्डों में समाप्त होने वाले ग्रन्थ का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें संस्कृत साहित्य-विशेषतः वैदिक वाङ्मय-के मूल अंश एवं उनके अंगरेजी अनुवाद दिये हुए हैं। आडफेश्त नामक रोमन विद्वान ने 'ऋग्वेद' एवं ऐतरेयब्राह्मण' का रोमन में अनुवाद किया है तथा एक अन्य रोमन विद्वान एदारूक ने ऋग्वेद की समीक्षा रोमन में लिखी है। अमेरिका के प्रसिद्ध विद्वान् विलियम ह्वाइट ह्विटनी ने ( १८२७.९४ ) सर्वप्रथम अमेरिका में संस्कृत अनुशीलन का कार्य किया । इन्होंने १८७९ ई० में संस्कृत का व्याकरण लिखा जो अपने क्षेत्र में बेजोड़ है। ह्विटनी ने 'अथर्वप्रातिशाख्य' का अंगरेजी में अनुवाद किया तथा 'सूर्यसिद्धान्त' नामक ज्योतिष ग्रन्थ का अंगरेजी में रूपान्तर किया। इन्होंने प्राच्यविद्या-सम्बन्धी लगभग ३६. निबन्ध लिखे हैं। प्रो० ओल्डेनवर्ग ने 'विनयपिटक' का अनुवाद एवं 'सांख्यायन, गृह्यसूत्रों' का सम्पादन किया है। प्रो. ब्लूमफील्ड कृत अथर्ववेद का अनुवाद अत्यन्त प्रसिद्ध है। इन्होंने 'वैदिक कंकारडेन्स' नामक एक विशाल ग्रन्थ की भी रचना की है। वेदज्ञ हिलेबष्ट ने तीन खण्डों में 'वैदिक मैथोलॉजी' नामक ग्रन्थ लिखा है और 'शिखायन श्रौतसूत्रों का सम्पादन भी किया है। सुप्रसिद्ध वैयाकरण बोलिक ने 'बृहदारण्यक' तथा 'छान्दोग्य उपनिषद' का सम्पादन किया है तथा 'अष्टाध्यायी' एवं हेमचन्द्र रचित ( अभिधान चितामणि का विशुद्ध संस्करण निकाला है। बौद्ध साहित्य पर राइज डेविड्स, मारिस हादि, स्पेयर आदि विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किये हैं। मोनियर विलियम एवं टी० बरों ने संस्कृत के भाषाशास्त्रीय व्याकरण लिखे हैं। इनमें बरोकृत 'संस्कृत लैंग्वेज' नामक ग्रन्थ. अधिक महत्त्वपूर्ण है । महाभारत के नामों और विषयों की अनुक्रमणिका सोरेन्सन नामक विद्वान् ने 'महाभारत इंडेक्स' के नाम से लिखी है। संस्कृत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषावैज्ञानिक व्याकरण जर्मन भाषा में वाकरनेगल नामक विद्वान् ने लिखा है जो चार भागों में समाप्त हुमा है । यूरोपीय विद्वान् अभी भी संस्कृत साहित्य के अनुशीलन में लगे हुए हैं। फ्रेंच विद्वान् लूई रेनो ने 'वैदिक. इण्डिया' एवं 'वैदिक बिब्लियोग्राफी' नामक पुस्तकें फ्रेन्च भाषा में लिखी हैं। ग्रिफिष कृत वेदों का पद्यानुवाद एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है । सम्प्रति रूस में संस्कृत पठन-पाठन के प्रति विद्वानों की अभिरुची बड़ी है और कई ग्रन्थों के रूसी भाषा में अनुवाद किये गए हैं । हाल ही में महाभारत का रूसी अनुवाद प्रकाशित हया है।
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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