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________________ मालती माधव.] ( ३९३ ) [माती माधव मालती माधव - 'मालती - माधव' महाकवि भवभूति कृत दस अंकों का प्रकरण इस नाटक का प्रधान रस श्रृङ्गार नायक की प्रणय कथा वर्णित है । मदनोत्सव का आयोजन कर प्राचीन काल में भूरिवसु एवं । दानों ने निश्चय किया था दोनों का वैवाहिक सम्बन्ध । यह महाकवि की द्वितीय नाट्य रचना है। तथा मालती एवं माधव नामक नायिका एवं इसकी कथावस्तु कल्पित है । नाटक के प्रथम अंक में मालती तथा माधव को परस्पर आकृष्ट किया गया है । देवरात नामक दो ब्राह्मण विद्यार्थियों में गाढ़ी मित्रता थी कि यदि एक को पुत्र एवं दूसरे को पुत्री उत्पन्न हुई तो वे स्थापित कर देंगे। उनके इस निश्चय को बौद्ध संन्यासिनी योगिनी कामन्दकी एवं उसकी शिष्या सौदामिनी जानती थीं। कालान्तर में दोनों हो मित्र मन्त्रि-पद पर अधिष्ठित हुए । भूरिवसु पद्मावती के अधीश्वर के मन्त्रि हुए एवं देवरात विदर्भ-नरेश के मन्त्री नियुक्त किये गए । संयोगवश देवरात को पुत्र उत्पन्न हुआ एवं भूरिवसु को कन्या हुई, जिनका नाम क्रमश: माधव एवं मालती हुआ। जब दोनों बड़े होकर विद्या एवं कला में प्रवीण हुए तो देवरात ने अपने पुत्र माधव को न्यायशास्त्र के अध्ययन के लिए पद्मावती भेजा, और भूरिवसु को अपने पूर्व निश्चय का स्मरण दिलाया। इसी बीच पद्मावती - नरेश के एक नर्म सचीव ने राजा से कहकर मालती का विवाह अपने पुत्र से करना चाहा । भूरिवसु अत्यन्त संकोच में पड़कर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। उधर मित्र का पूर्व निश्चय वचन एवं इधर राजा का आदेश था । अन्ततः उसने रिलष्ट शब्दों का प्रयोग कर बचन -चातुरी के द्वारा राजा के प्रस्ताव को स्वीकारकर लिया । कामन्दकी को इन सारी बातों का पता चला और उसने दोनों को अकट करने की योजना बनाई । उसने माधव से कहा कि वह भूरिवसु के भवन के पास से नित्य प्रति होकर जाया करे । माधव ने ऐसा ही किया और मालती उस पर अनुरक्त हो गयी। इन सारी बातों की सूचना कवि ने कामन्दकी एवं उसकी शिष्या अवलोकिता के वार्तालाप में दो है । दोनों के वार्तालाप में माधव के मित्र मकरन्द एवं कन्दन की बहिन तथा मालती की सखी मदयन्तिका के बिवाह की भी चर्चा की गयी है । मदनोद्यान में मालती तथा माधव का मिलन होता है और उसके चले जाने पर माधव अपने मित्र मकरन्द से अपनी विरहावस्था का वर्णन करता है । तृतीय अबू में जाती है । वे द्वितीय अंक में पद्मावती- नरेश के मन्त्री भूरिवसु अपनी पुत्री नन्दन के साथ करने को प्रस्तुत होते हैं; पर कामन्दकी मालती को के साथ विवाह करने के लिए तैयार कर लेती है। मालती एवं माधव को मिलाने की योजना बना ली निकटवर्ती अशोक कुंज में मिलेंगे । माधव पहले से ही वहां छिपा रहता है गिका मालती को लेकर आती है, पर दोनों के मिलन होने के पूर्व पिंजरे से एक शेर के निकल भागने से भगदड़ मच जाती है, और मकरन्द शेर को मार डालता है । इस घटना के द्वारा माधव एवं मकरन्द दोनों ही घायल होकर बेहोश हो जाते हैं । चतुर्थ अंक में मालती एवं मदयन्तिका के प्रयत्न से दोनों मित्र होश में लाये जाते हैं। संज्ञा मालती का विवाह गुप्तरूप से, माधव कामन्दकी द्वारा शिव मन्दिर के और लवं- 1
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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