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________________ त्रिपुरविजय चम्पू ] ( २०६ ) [ त्रिविक्रमभट्ट त्रिपुरविजय चम्पू - ( प्रथम ) इस चम्पू काव्य के रचयिता अतिरात्रयाजिन् हैं। ये नीलकण्ठ दीक्षित ( दे० नीलकण्ठविजय चम्पू ) के सहोदर भ्राता थे, अतः इनका समय सत्रहवीं शती का मध्य सिद्ध होता है । यह ग्रन्थ चार आश्वास में प्राप्त हुआ है और अभी तक अप्रकाशित है। इसके प्रथम तथा चतुर्थ आश्वास के क्रमशः प्रारम्भ एवं अत के कतिपय पृष्ठ नष्ट हो गए हैं। इसका विवरण तंजोर कैटलाग संख्या ४०३७ में प्राप्त होता है । इसके अन्त में यह श्लोक है 1 भूत जंगलोकमभितो व्याकीर्णरत्नोत्करं । व्यावलगज्जलजन्तुशान्तवडवा वक्त्रानला उम्बरम् । कल्लोलैः स्थलतः क्षणात् स्वयमुपर्युत्प्लुत्य दुग्धार्णवः प्रायेणायत बुदबुदाकृतिधरस्तूणीरभावं य - ॥ आधारग्रन्थ - चम्पूकाव्य का आलोचनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन - डॉ० छविनाथ त्रिपाठी । त्रिविक्रमभट्ट – ये 'नलचम्पू' नामक चम्पू काव्य के रचयिता हैं । [ दे० नलचम्पू] इनकी कृति संस्कृत साहित्य का प्राचीनतम चम्पूकाव्य है । इन्होंने 'नलचम्पू' में अपने कुलगोत्रादि का जो विवरण प्रस्तुत किया है उसके अनुसार इनका जन्म शाण्डिल्य गोत्र में हुआ था। इनके पितामह का नाम श्रीधर तथा पिता का नाम नेमादित्य या देवादित्य था । तेषां वंशे विशदयशसां श्रीधरस्यात्मजोऽभूद् देवा (नेमा ) दित्यः स्वमतिविकसद्वेदविद्याविवेकः । उत्कल्लोला दिशि दिशि जनाः कीर्तिपीयूषसिन्धुं यस्याद्यापि श्रवणपुटकैः कुणिताक्षाः पिबन्ति ॥ १।१९ तैस्तैरात्मगुणैर्येन त्रिलोक्यास्तिलकायितम् । तस्मादस्मि सुतो जातो जाड्यपात्रं त्रिविक्रमः ॥ १।२० ॥ अस्ति 'ऋतु क्रियाकाण्डशौण्डस्य शाण्डिल्यनाम्नो महर्षेवंशः । महाभारतिकाश्च ये रङ्गोपजीविनः । नलचम्पू की प्रथम गद्यपंक्ति ( चौखम्बा संस्करण पृ० १३ ) 'नलचम्पू' का समय उसके अन्तरंग एवं बहिरंग प्रमाणों के आधार पर निश्चित किया गया है । इसके प्रारम्भ में कवि ने अनेक कवियों का उल्लेख किया है जिनमें गुणात्म तथा बाण हैं । धाराधीश महाराज भोजकृत 'सरस्वतीकण्ठाभरण' में 'नलचम्पू' के षष्ठ उच्छ्वास का एक श्लोक प्राप्त होता है। इन दो संकेतों के आधार पर त्रिविक्रमभट्ट का समय सुगमतापूर्वक निर्धारित किया जा सकता है। महाकवि बाण महाराज हबंधन के सभा-कवि थे, जिनका समय ६०६-६४७ या ४८ ई० है तथा भोज का समयं १०१५ - १०५५ ई० है । इनके अतिरिक्त राष्ट्रकूटवंशीय नृप इन्द्र तृतीय का ९१४ ई० ( शकवर्ष ८३६ ) का एक शिलालेख गुजरात के बगुम्रा नामक ग्राम में प्राप्त
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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