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________________ कोकसन्देश ] ( १५० ) [ कोफिलसन्देश ईश्वरानन्द ( 'महाभाष्यप्रदीपविवरण, समय १६वीं एवं १७वीं शती), अन्नंभट्ट ( 'महाभाष्य प्रदीपोद्योतन', १६वीं १७वीं शती), नारायणशास्त्री ( 'महाभाष्यप्रदीपव्याख्या' १८वीं शताब्दी ), नागेशभट्ट ( 'महाभाष्यप्रदीपोद्योतन' समय १७वीं शताब्दी का पूर्व), बैद्यनाथ पायगुडे ( 'महाभाष्यप्रदीपोद्योतन' १८वीं शताब्दी ), मलयज्वा तथा रामसेवक । कोकसन्देश -- इस सन्देशकाव्य के रचयिता विष्णुत्रात कवि हैं। इनका समय विक्रम का षोडश शतक है । कवि के सम्बन्ध में अन्य प्रकार की जानकारी प्राप्त नहीं होती । ग्रन्थ में कवि का परिचय इस प्रकार प्राप्त होता है आसींद विप्रो हरिनतिरतः कोऽपि रम्भाविहारे, विष्णुत्रातो द्विज परिवृढब्रह्मदत्तैकमित्रः । तेतस्मिन् सपदि रचिते कोकसन्देशकाव्ये, पूर्णस्तावत् समजनि रसैश्चाप्यसी पूर्वभागः ॥ १।१२० इस काव्य में एक राजकुमार श्री बिहारपुर से अपनी प्रिया के पास सन्देश भेजता है । इसमें नायक अपनी प्रियां से एक यन्त्र-शक्ति के द्वारा वियुक्त हो जाता है । ग्रन्थ की रचना मेघदूत के अनुकरण पर हुई है और पूर्वभाग में १२० एवं उत्तरभाग में १८६ श्लोक रचे गए हैं । सम्पूर्ण ग्रन्थ मन्दाक्रान्तावृत्त में लिखा गया है। इसमें वस्तु वर्णन का आधिक्य है और प्रेयसी के गृहवर्णन में ५० श्लोक लिखे गए हैं। सन्देश के अन्त में नायक अपने स्वस्थ होने के लिए कुछ अभिज्ञानों का भी वर्णन करता हैबाले पूर्व खलु मणिमये नौ निशान्ते निशायाम्, प्राप्ता स्वीयां तनुमपि ममोपान्तभित्ती स्फुरन्तीम् । दृष्ट्वा रोषाद बलितवदनाऽभूत्तदाऽभ्येत्य तूर्णं, गाढा विलष्टा कथमपि मया बोधिताऽरं यथार्थम् ॥ २।१८० आधारग्रन्थ- संस्कृत के सन्देशकाव्य - डॉ० रामकुमार आचार्य । कोकिल सन्देश - इस सन्देशकाव्य के रचयिता उद्दण्ड कवि हैं। इनका समय १६वीं शताब्दी का प्रारम्भ है । ये कालीकट के राजा जमूरिन के सभा कवि थे । इनके पिता का नाम रङ्गनाथ एवं माता का नाम रङ्गाम्बा था । कवि वंधुलगोत्रीय ब्राह्मण वंश में उत्पन्न हुआ था । इसने 'कोकिल सन्देश' के अतिरिक्त 'मलिकामास्त' नामक दस अंकों के एक प्रकरण की भी रचना की है जो भवभूति के मालतीमाधव से प्रभावित है । 'कोकिल सन्देश' की रचना मेघदूत के अनुकरण पर हुई है। इसमें भी पूर्व एवं उत्तर दो भाग हैं और सर्वत्र मन्दाक्रान्तावृत्त का प्रयोग किया गया है । इस Paror की कथा काल्पनिक है। कोई प्रेमी जो प्रासाद में प्रिया के साथ प्रेमालाप करते हुए सोया हुआ था, प्रातःकाल अप्सराओं के द्वारा नगरी के भवानी के मन्दिर में अपने को पाता है यदि वह पाँच मास तक यहाँ रहे तो पुनः उसे रहते हुए जब तीन माह व्यतीत हो जाते हैं तो कोकिल के द्वारा उसके पास सन्देश भेजता है कम्पा नदी के तट पर स्थित कांची । उसी समय आकाशवाणी हुई कि प्रिया का वियोग नहीं होगा। वहीं उसे प्रिया की याद आती है ओर वह । वसन्तऋतु में कोकिल का कलकूजन
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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