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आगम-सागर-कोषः (भागः-४)
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बुद्धवुत्त- बुद्धव्युक्तः-बु? अवगततत्त्वैर्युक्तो-विशेषेणा- | कर्षक-वत्। स्था० १२९।।
भिहितः स च द्वादशाङ्गरूप आगमः। उत्त०४६| | बुस-यवादीनां कडङ्गरः। स्था०४१९। बुद्धि- औत्पत्तिक्यादिचतुर्विधेति। सम० ११५। ईहावग्रहः। बुसाग्नि-बुससत्कोऽग्निः। जीवा० १२३ अनुयो. ३६। स्पष्टतरमवबुध्यमानस्य बोधपरिणतिः बुसिम-संयमवान्। सूत्र० ३९३। चारित्रम्। सूत्र० २५३। सा बुद्धिः। नन्दी० १७६। अवगतिः। उत्त० ३९२। अवग्रहे | बुसीमओ- तीर्थकृतः सत्संयमवतो वा। सूत्र० २५५ हेतु बुद्धिः। नन्दी. १९४१ भग० ३४५ महापुण्डरीकः। | बुह- बुधः-अष्टाशीतौ महाग्रहे एकचत्वारिंशत्तमः। जम्बू० स्था०७३। बुद्धिः-औत्पत्तिक्यादिरूपः। दशवै० २४६। ५३४। स्था० ७९ बुद्धिः-पण्डा। बृह. ३४ अ। रुक्मिवर्षधरे पञ्चमं कूटम्। | बूर- बूरः-वनस्पतिविशेषः। जम्बू. ३६। जीवा० १९२ स्था० ७२, २७ बुद्धिकूट-महापुण्डरीकद्रहसूरीकूटम्। प्रज्ञा. २१० सूर्य. २९३। औप०११उत्त०६५४ प्रज्ञा. जम्बू० ३८०
३६७। भग० ५४० वनस्पतिविशेषावयवविशेषः। भग. बुद्धिमतीपरिसा- स्ववसमयपरसमयविशारदाः कुशलाः सा |
| १३४। वनस्पतिविशेषः। निर०१। राज०९। ज्ञाता०६। बुद्धिमतीपर्षद्। बृह० ६० आ।
बृंहणीय-धातूपचयकारि। स्था० ३७५ धातूपचयकारिबुद्धिल- बुद्धिं लातीति। ओघ० १९।
त्वात्। जीवा० ३७८१ बुद्धिल्ल- बुद्धिं लातीति बुद्धिलः। ओघ० १९।
बृंहणीया- बृंहतीति बृहणीया धातूपचयकारित्वात्। जीवा० बुद्धिविन्नाण
३५१ मतिविशेषभूतौत्पत्तिक्यादिबुद्धिरूपपरिच्छेदः। भग. | बृंहयित्वा- इदमेव प्रधानमिति ख्यापनेनोपळय। उत्त. ५४१
४७८१ बुद्धिसागर- जिनेश्वरसूरेर्गुरुभ्राता। सम० १६०| ज्ञाता० बृहये- भव्यजनप्ररूपणा बृद्धि नयेः। उत्त० ३४१।
बृहत्तपः- तपो विशेषः। स्था० ५१२। बुद्धिसागराचार्य- जिनेश्वरसूरेगुभ्राता। स्था० ५२७ बेति-उक्तवन्तः। आव० १२७ बुद्धी- चतुर्थवर्गे पञ्चममध्ययनम्। निर० ३७। बृह० ५९ । | बेआहिय- व्याह्निकः ज्वरविशेषः। भग० १९८५
आ। अप्पणा बुद्धिसामत्थेण अ अत्थे उव्वेल्लइ सा। बेटी-पुत्रः। नि० चु० ९५आ। दशः १४। बुद्धिः बुद्धिसाफल्यकारणत्वात् अहिंसायाः | बेट्टा- उपविष्टः। ओघ० ११७। आव० १०२। उपविष्टः। बृह. सप्तदशं नाम। प्रश्न० ९९। बुद्धिः-परलोकप्रवणा मतिः। | वि० १३ आ। आव० ३४१। उत्त० १४५। बुद्धिः-उत्पत्तिक्यादिका।। बेडिया-नौः। बृह० १६० अ। प्रश्न०१०७
बेण्णातड- बेन्नातटं-नगरम्। आव. ३६० बुद्धीय- बुद्ध्या । ओघ. १६५
बेण्णायडं-बेन्नातटं-नगरविशेषः। आव०६७१| बुद्धेन-जीवादितत्त्वम्। सम०५१
बेन्ना- आभीरविषये नदीविशेषः। आव०४१२। योगद्वारबुध्नं- पुष्पकम्। ओघ० ११७। अधः। ओघ० १६८। मूलम्। | विवरणे नदीविशेषः। पिण्ड० १४४१ स्था० ४८०
बेन्नातटं- नगरविशेषः। नन्दी. १५०, १५२ बुध्यते- ज्ञानदर्शनोपयोगाभ्यां च वस्तुतत्त्वमवगच्छति। बेन्नायडं- बेन्नायाः समीपे नगरम्। अनुयो० १४९। उत्त० ५८६।
बेन्नातटम्। आव०४१८१ बुब्बुय- बुदबुदः। ओघ० १३११
बेभेल- विन्ध्यगिरिपादमूले सन्निवेशविशेषः। भग. बुब्बुयवरिस- यत्र वर्षे पतत्यदके बुदबुदा भवन्ति स १७११, ६९४१ बुदबुदवर्षः। आव० ७३३। जत्थ वासे पडमाणे
बोंड- बोण्डं-फलम्। औप०१७। जीवा० २७३। बोण्डं-फलम्। उदगबुब्बुया भवंति तं बुब्बुयवरिसं। निशी० ६९ आ। | जम्बू० ११३॥ बुयावइत्ता- संभाष्य या प्रव्रज्या दीयते सा, गौतमेन | बोंडज-बोण्डजं-कर्पासीफलप्रभवं वस्त्रम। औप० ३७
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मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [४]