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आगम-सागर-कोषः (भागः-३)
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कालमानविशेषः। स्था० ८६| पउमरह- पद्मरथः-सर्वकामविरक्तताविषये देवलास्तराज- | पउमाइं- पद्मानि सूर्यविकासीनि ईषत् श्वेतानि वा। जम्बू. कुमारः। आव०७१४१
२६| पउमराग- पद्मरागः-रत्नविशेषः। जम्बू० ४८५
पउमाकारं- पद्माकारम्। आव०४२७ पउमरुक्ख- पद्ममतिविशालतया वृक्ष इव पद्मवृक्षः। जीवा. | पउमाते- शक्रेन्द्रस्याग्रमहिष्या राजधानी। स्था० २३१। ३३३
पउमाभ- यस्मिन् गर्भगते देव्याः पद्मशयने दोहदो जातः, पउमलय- पद्मलता-मृणालिका। भग० ४७८।
तच्च तस्यै देवतया सज्जितं, पद्मवर्णश्च भगवान् तेन पउमलया- पद्मलताः पद्मिन्यः जम्बू० २९२पद्मलता- पद्मप्रभ इति। आव०५०३ स्थलकमलिनि पद्मकाभिधानवृक्षलता वा। औप.९| | पउमावई- पद्मावती-चम्पायां कणिकराज्ञो भार्या। भग. पद्मलता पद्मिनी। जीवा. १८२। लताविशेषः। प्रज्ञा० ३२ ३१६। पद्मावती-पाश्चात्यरूचकवास्तव्या चतुर्थी दिक्क्पउमलेसा- पद्मगर्भवर्णा लेश्या पद्मलेश्या। स्था० १७५१ मारीमहत्तरिका। जम्बू० ३९१| पद्मावतीपउमवडेंसए- सौधर्मकल्पे विमानः। ज्ञाता० २५३। मुनिसुव्रतमाता। आव० १६०| पद्मावती-तेनतलीपनगरे पउमवरवेइया- पद्मवरवेदिका-पद्मप्रधानावेदिका। जीवा० कनकरथराज-पत्नी। आव० ३७३। पद्मावती१८३
द्रव्यव्युत्सर्गे चेटकहिता। चम्पापउमवूह- पद्माकरोव्यूहः-पद्मव्यूहः-परेषामनभिभवनीयः, नगरेशदधिवाहनपत्नी करकण्डुमाता। आव० ७१६) सैन्यविनाशविशेषः। प्रश्न.४७
कृष्णस्य देवी। निर०४। धर्मकथाया नवमवर्गस्य पउमसर- पद्मसरः। आव. १७०| पद्मसरः। आव०१८५ प्रथम-मध्ययने देवी। ज्ञाता०२५३। रोहीतकनगरे पद्मानि यत्रोत्पद्यन्ते सरसि तत् पद्मसरः। स्था० ५०२। महाबलराज्ञो भार्या। निर०४०। कोणिकस्य राज्ञी। निर० चतुर्दशस्वप्ने दशमम्। ज्ञाता०२०
१९| कालककुमारपत्नी। निर० १९। पद्मावतीपउमसिरी-नवमचक्रिणः स्त्रीरत्नम्। सम० १५२ पद्मश्री- शिक्षायोगह-ष्टान्ते हैह-यकलसंभूतवैशालिकचेटकस्य मेघनादविद्याधरकन्या। आव० ३९३। धणमित्तस- द्वितीया पुत्री। आव०६७६। त्थवाहस्स बीया भज्जा। निशी० १२८ । पद्मश्री- पउमावती- करकण्डुमाता। नि० १९४ अ। निशी० ४६ अ। योगसंग्रह निरपलापदृष्टान्ते दन्तपुरनगरे
नरवाहनराज्ञी। व्यव० २२७ आ। कनक-रथस्य राज्ञी। धनमित्रवणिजस्य-लघ्वी भार्या। आव०६६६।
ज्ञाता०१८४। भीमराक्षसेन्द्रस्य दवितीयाs-ग्रमहिषी। पउमसेण- कल्पावतंसिकस्य षष्ठममध्ययनम्। निर० भग. ५०४। शेलकपूरे शेलकराजपत्नी। ज्ञाता०१०४|
साकेतनगरे पटबुद्धिराज्ञा। ज्ञाता० १३०| पद्मावतीपउमा-धर्मकथायाः नवमवर्गस्य प्रथममध्ययनम्। शतानीकराज्ञो पुत्रोदायनस्य पत्नी। विपा० ६८१ ज्ञाता० २५३। भीमराक्षसेन्द्रस्य प्रथमाऽग्रमहिषी। स्था० पद्मावती-अन्तकृद्दशानां पञ्चमवर्गस्य प्रथमाध्ययनम्। २०४। मुनिसुव्रतस्वामिनो जननी। सम० १५१।
अन्त०१५। पद्मावती-पञ्चिमरुचकवास्तव्या चतुर्थी भीमराक्षसेन्द्रस्य प्रथमाऽग्रमहिषी। भग० ५०४। दिक्कुमारी। आव० १२२पद्मावती-चेटकदुहिता शक्रदेवेन्द्रस्य प्रथमाऽग्रम-हीषी। भग० ५०५।
दधिवाहनराज्ञी। उत्त० ३००| पद्मावती-महापद्मराज्ञी। वनस्पतिविशेषः। भग०८०४| पद्मा-शक्रदेवेन्द्रस्य उत्त० ३२६। मरुत्पत्थे देवी। व्यव० २८० आ। प्रथमाऽग्रमहिषी। जीवा० ३६५। साधारण
पउमावतीदेवी- शैलककेषग्राहीका देवी। ज्ञाता० १०८ बादरवनस्पतिकायविशेषः। प्रज्ञा० ३४१ धर्मकथायाः पउमासण- पद्मासनं-पद्माकारमासनम्। जीवा० २००९ पञ्च-मवर्गस्य त्रयोदशममध्ययनम्। ज्ञाता०२५२ पउमुत्तर- पद्मोत्तरः-शुक्ललेश्याया आस्वादे दृष्टान्तः। धर्मकथायाः नवमवर्गस्य प्रथममध्ययनम्। ज्ञाता० प्रज्ञा० ३६४१ दशमचक्रीपिता। सम० १५२। पद्मोत्तरः२५३। पद्मा-पूर्वस यां पुष्करणीनाम। जम्बू. ३३५ दिग्हस्ति-कूटनाम। सम० १५२| पद्मोत्तरः
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मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [३]