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संक्षेप
०४
चतु. आतु महाप. भक्त. तन्दु संस्ता . गच्छा . गणि
०६
देवे.
३३
[Type text]
आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
संक्षेप-सूचि, क्रम आगम का नाम संक्षेप क्रम
आगम का नाम ०१ । आचाराङ्ग
आचा. ।। २४ | चत:शरणप्रकीर्णक सूत्रकृताङ्ग
सूत्र. | २५ | आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ०३ स्थानाङ्ग
स्था . २६ | महाप्रत्याख्यानप्रकीर्णक समवायाङ्ग
सम. २७ भक्तपरिज्ञाप्रकीर्णक ०५ | भगवती(अङ्ग)
भग. | २८ तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक ज्ञाताधर्मकथाङग
ज्ञाता. | २९ । संस्तारकप्रकीर्णक ०७ उपासकदशाङ्ग
उपा.
| गच्छाचारप्रकीर्णक अन्तकृद्दशाङ्ग
अन्त. ३१ | गणिविदयाप्रकीर्णक | अनुत्तरोपपातिकदशाङ्ग अनुत्त 1 ३२ | देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक १० | प्रश्नव्याकरणाङ्ग
प्रश्न
| मरणसमाधिप्रकीर्णक ११ विपाकश्रुताङ्ग
विपा. | ३४ | निशीथछेदसूत्र १२ | औपपातिकोपाङ्ग
औप. | ३५ बृहत्कल्पछेदसूत्र १३ | राजप्रश्नीयोपाग
राज. | ३६ | व्यवहारछेदसूत्र १४ जीवाजीवाभिगमोपाङग
जीवा.
| ३७ | दशाश्रुतस्कन्धछेदसूत्र १५ | प्रज्ञापनोपाङ्ग
प्रज्ञा ३८ जीतकल्पछेदसत्र १६ | सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्ग
सूर्यः ।। ३९ । महानिशीथछेदसूत्र १७ | चन्द्रप्रज्ञप्त्यपाङ्ग
चन्द्र० ।। ४० आवश्यकमूलसूत्र १८ | | जम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्ग जम्बू० ।। ४१ ओघनियुक्तिमूलसूत्र | निरयावलियकोपाङ्ग
निर. | ४१ पिण्डनियुक्तिमूलसूत्र कल्पवतन्सिकोपाङ्ग
कल्प. | ४२ | दशवैकालिकमूलसूत्र पुष्पिकोपाङ्ग
पुष्पि .
| ४३ | उत्तराध्ययनमूलसूत्र २२ पुष्पचूलिकोपाङ्ग
पुष्प० ।। ४४ | नन्दीचूलिकासूत्र | वृष्णिदशोपाङ्ग
वृष्णि . | ४५ अनुयोगद्वारचूलिकासूत्र देशीय शब्द
चूर्णि
मरण. निशी
बृह.
व्यव०
दशाश्रुः
१९ कि
जीत. महानि आव. ओघ. पिण्ड दशवै. उत्त नन्दी अनुओ०
२०
दे
सूचना- [१] उपरोक्त ४५ आगमो के जो शब्द या व्याख्या संदर्भ ईस कोषमे शामिल किये है, उसमें ६ छेदसूत्रो और चन्द्रप्रज्ञप्ति के अलावा बाकी सभी आगमो श्री सागरानन्दरिजी महाराज संपादित प्रतो से है, चन्द्रप्रज्ञप्ति के संदर्भ सूर्यप्रज्ञप्ति अनुसार है, सिर्फ ६ सूत्र के संदर्भ हस्तपोथी से लिए है
[२] यहां आगमो के जो संदर्भ दिये है, वे उन आगमो की प्रत या पोथी के पृष्ठ-अंक है | __ [३] हमारा प्रकाशन “सवृत्तिक आगम सुत्ताणि” भाग १ से ४० मे ये सभी आगम मुद्रित है।
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
"आगम-सागर-कोषः" [२]