________________
[Type text]
आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
[Type text]
७९
करं-करः-गवादीन् प्रति प्रतिवर्ष राजदेयं द्रव्यम्। जम्बू० करकरसई-व्यक्तव्यक्तशब्दम्। आव. २९२ १९४१ भग०५४४
करकरिए-अष्टाशीत्यां पञ्चाशीतितमो महाग्रहः। स्था. करंज-करञ्जः; वृक्षविशेषः। भग० ८०३। नक्तमालः। प्रज्ञा० ३१|
करग-करकः। जम्बू.१०१। घंटी। निशी०६४आ। करकः करंड-भाजनविशेषः। प्रश्न. ९३।
कठिनोदकरूपः। दशवै०१५३ करंडक-वंशग्रथितः। ओघ० २११। वेणुकार्यविशेषः। सूत्र० करगओ-करपत्रम्। आव०८०१ ११७। बहुपृथुलमल्पोच्छ्रयं मुखम्। बृह. २४९ अ। करगगीवा- वार्घटिका ग्रीवा। अनुत्त० ५। करंडगा-करंडकः-वस्त्राभरणादिस्थानम्। स्था० २७२। करगतं-क्रकचम्। आव०६५१| करंडय- करण्डकं-पृष्ठवंशास्थिकम्। जीवा. २७१। करगय-क्रकचम्, करपत्रम्। उत्त०६५४| करंडादी-उलंबगं-समचउरंसं। निशी० ५४ आ।
करगा-उदगपासाणा वासे पडंति ते करगा। निशी. ४५ करंडुअ-करण्डकं पृष्ठवंशास्थिकम्। जम्बू० १११ करगे-करकः घनोपलः। जीवा. २५ कर-करणं नाम नागरकादिप्रारम्भयन्त्रम्।
करगो-पाणियभंडयं। निशी. ११७ आ। करकः-जलाधारो संप्राप्तकामस्यएका-दशो भेदः। दशवै० १९४।
मदिराभाजनं वा। सूत्र० ११८१ अष्टाशीत्यां त्र्यशीतितमो महाग्रहः। जम्बू.५३५ करः- | करघातो-करस्य पीडा। बृह. ७४ आ। क्षेत्राद्याश्रितराजदेयद्रव्यम्। विपा० ३९
करचोल्लए-करभोजनम्। आव० ३४१। करइल्ल-करकवान्। उत्त० ९७।
करजर-तृणविशेषः। प्रज्ञा० ३३॥ करए-करको बादराप्कायविशेषः। प्रज्ञा० २८१ करकाः- करट-शरीरेण विमध्यमः। निशी०७१ अ। वार्घटिकाः। उपा०४०
करटी-वाद्यविशेषः। जीवा. २६६। करओ-जलगालनं-धर्मकरकः। ब्रह. १०० आ। करडि- करटी। जम्बू. १०१। करकंडु- प्रत्येकबुद्धनाम। प्रज्ञा० १९। द्रव्यव्युत्सर्गोदाहरणे | करडुय-करड्कं-मृतकभक्तम्। व्यव० ३४२ अ। कलिङ्गेषु करकण्डुः-दधिवाहनराजपुत्रः। आव० ७१६, करडुयभत्त-घृतपूर्णः। निशी. १०० आ। करडुकभ७१७ सम० १२४। काञ्चनपुर नृपत्तिः । उत्त० ३०१| क्तम्-मृतकभोजनं मासिकादि। पिण्ड० १३४॥ पउ-मावईए रायपुत्तो। निशी. १९४आ। करकण्डुः- करडो-कुरूटः-कुणालानगर्यां दोषार्ते उपाध्यायविशेषः। कलिङ्गेषु दधिवाहनराजसुतो यो जीर्णं वृषभं दृष्ट्वा आव० ४६५१ प्रतिबुद्धः। उत्त० २९९। आगन्तुके दृष्टान्तः। निशी. | करणं- अपूर्वप्रादुर्भावः। अन्योन्यसमाधानम्। आव. २६९ आ।
४५७। पिण्डविशुद्धयादिः। ज्ञाता०७। उत्त० ५८०| करकंडे- करकण्डः माहणपरिव्राजके दवितीयनाम। औप० गुरूविषयं शिष्यविषयं च। आव० ४७१। गुरुशिष्ययोः
सामायिकक्रिया-व्यापारणम्। आव० ४७१। यत् प्रयोजन करक- हिमम्। आचा० ४०| भाजनविधिविशेषः। जीवा० आपन्ने क्रियत इति करणम्। ओघ०७| कालविशेषरूपं २६६। प्रलियशकलः। पिण्ड० १०७ करकः, पक्षिविशेषः।। चतर्यामप्रमाणम्। उत्त. २०२२ करणं न्यायालयम्। प्रश्न. ८1 अनुयो० १५२।
निशी० ११२ अ। प्रति-लेखनादि। भग०७२७। करणम्। करकचियं-क्रकचितम्, करपत्रविदारितं काष्ठादि। दशवै०६१। प्रयोगः। ज्ञाता०४१। इन्द्रियम्। अनुयो० १५४१
कृतकारितानुमतिरूपम्। भग० ८९| चारित्रम्। बृह० ११८ करकपाल-चतुर्थं महाकुष्ठम्। प्रश्न० १६१|
अ। अपूर्वकरणम्। उत्त० ५७९। अवनामादिरावश्यकः। करकय- क्रकचम्। आव० ४२० करपत्रम्। उत्त० ४५९| | बृह. १३ अ| गात्रम्। आचा० ८६| कृतिःस्वभावतः एव प्रश्न० २१। जीवा० १२०। क्रकचः। प्रज्ञा० ३६७। क्रकचं- | निर्वृतिर्गृह्यते, करणः-न्यायालयः। आव० ५२०, ७१७, येन दारु विदयते तत्। स्था० २७३।
, ८२२ उत्त० ३०१ नन्दी. १६३। परिणामविशेषः।
९१
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
[291
"आगम-सागर-कोषः" [२]