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अलक्ष (राजा)
वाराणसी नगरी नरेश। किसी समय भगवान महावीर वाराणसी नगरी के बाहर स्थित काममहावन नामक उद्यान में पधारे। राजा भगवान का उपदेश सुनने आया। उपदेश सुनकर वह विरक्त हो गया। अपने बड़े पुत्र को राजपद देकर वह दीक्षित हो गया। बहुत वर्षों तक चारित्र पालकर वह विपुलाचल से सिद्ध हुआ।
-अन्तगडसूत्र वर्ग 6, अध्ययन 16 अल्लट (राजा)
चित्तौड़ के शिशोदिया राजवंश का महाराणा। जैन धर्म के प्रति उसके हृदय में अगाध आस्था थी। जैन धर्म के प्रति उसके आकर्षित होने के पीछे की जो घटना थी, वह इस प्रकार है-अल्लट की पटरानी महालक्ष्मी एक बार असाध्य रोग से ग्रस्त हो गई। रोग निवारण के लिए किए गए समस्त उपचार व्यर्थ सिद्ध हुए। उस अवधि में आचार्य यशोभद्र सूरि के शिष्य बलिभद्र चित्तौड़ में पधारे। बलिभद्र ने अपने तपःप्रभाव से रानी को रोग मुक्त कर दिया। इस घटना से अल्लट बलिभद्र के तपोमय जीवन से अतिशय रूप से प्रभावित हुआ और वह जिनोपासक बन गया। राणा अल्लट की प्रेरणा से उसके राज्य के बहुत से श्रेष्ठी भी श्रावक बने। महाराणा अल्लट ने बलिभद्र को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित भी किया।
महाराणा अल्लट ने जिनधर्म की प्रभावना के कई कार्य किए। उसका शासन काल वि.स. 922 से 1010 तक का माना जाता है। अवतंसा (आर्या) इनका समग्र परिचय कमला आर्या के समान है। (देखिए-कमला आर्या)
-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु., वर्ग 5, अ. 17 अविनीत गंग
गंग वंशीय एक जिनभक्त नरेश। अविनीत गंग कुशल राजनीतिज्ञ, शूरवीर और जिन-धर्मानुयायी नरेश था। उसे अजेय योद्धा और विद्वानों में अग्रगण्य माना जाता है। उसका शासन काल ई. सन् 425 से 478 तक का मान्य है। अशोक (राजा)
मौर्यवंश का तृतीय सम्राट्, चन्द्रगुप्त मौर्य का पौत्र और बिन्दुसार का पुत्र । अशोक को उसकी राजनीतिक कुशलता, सर्वधर्म समन्वय भावना, प्रजा प्रेम, दानवीरता और सुशासन के कारण 'महान' कहा जाता है। ____ अशोक महाराज बिन्दुसार का ज्येष्ठ पुत्र नहीं था, परन्तु अपने सभी भाइयों में वह बुद्धिमान था। बिन्दुसार के शासन के अन्तिम दिनों में तक्षशिला में उठे जनविद्रोह को उसने अपनी कुशलता से शान्त कर दिया। इससे उसे पर्याप्त सुयश मिला। उसे युवराज घोषित किया गया। इससे उसे भाइयों का भी विद्रोह झेलना पड़ा। पर कुछ ही वर्षों में उसने अपने शासन को निष्कण्टक बना लिया। .. अशोक का कलिंगयुद्ध उसके जीवन का श्याम पक्ष रहा। उस समय कलिंग पर चंडराय नामक एक जैन राजा का शासन था। कलिंग को अपने अधीन बनाने के लिए अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। कलिंग के रणबांकुरों ने अशोक का तीव्र विरोध किया और भयंकर युद्ध हुआ जिसमें लाखों सैनिक मारे गए। कलिंग का वह युद्ध अशोक के जीवन-परिवर्तन का कारण भी बना। निर्दोष युवकों के शवों को देखकर
.. जैन चरित्र कोश ....