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रंभा (आया) ___ रंभा आर्या का सम्पूर्ण जीवन परिचय शुभा आर्या के समान है। विशेष इतना है कि इनके पिता का नाम रंभ गाथापति और माता का नाम रंभश्री था। (देखिए-शुंभा आया)
-ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, द्वि.श्रु, द्वि.वर्ग, अध्ययन 3 रइधू (कवि)
वि. की पन्द्रहवीं-सोलहवीं सदी के अपभ्रंश भाषा के जैन कवि। आपका पारिवारिक परिचय निम्नोक्त रूप में प्राप्त होता है
आपके दादा का नाम संघपति देवराज, पिता का नाम हरिसिंह और माता का नाम विजयश्री था। आपकी पत्नी का नाम सावित्री और पुत्र का नाम उदयराज था। आपके दो ज्येष्ठ भ्राता थे जिनके नाम क्रमशः बहोल और मानसिंह थे। ___आपने गृहस्थावस्था में रहकर अपनी विद्वत्ता और बहुमुखी प्रतिभा के कारण पर्याप्त सुयश अर्जित किया था। हरियाणा, दिल्ली और ग्वालियर में आप काफी ख्यात थे। क्रियाकाण्ड और मूर्तिप्रतिष्ठा भी आप साधिकार सम्पन्न करते थे। ___ आपने कई उत्कृष्ट ग्रन्थों की रचना की। आप द्वारा रचित ग्रन्थों की संख्या पर विचार किया जाए तो डा. राजाराम जैन ने आप द्वारा रचित सैंतीस ग्रन्थों का उल्लेख किया है। आप द्वारा रचित कुछ ख्यातिलब्ध ग्रन्थों की नामावलि इस प्रकार है-मेहेसचरिउ, सिरिबाल चरिउ, बहहद्दचरिउ, सुक्कोसल चरिउ, धण्णकुमार चरिउ, सम्मत्तगुणणिहाणकव्व, जसहरचरिउ, वित्तसार, सिद्धतत्थसारो, अणथमिउकहा आदि। भाषा, भाव आदि की दृष्टि से ये ग्रन्थ उत्तम और काव्य गुणों से समुन्नत हैं।
-तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा रक्षिता
(देखिए-धन्ना सार्थवाह) रघुनाथ जी (आचार्य)
श्वेताम्बर स्थानकवासी परम्परा के एक यशस्वी आचार्य __आचार्य श्री रघुनाथ जी का जन्म सोजत में ओसवाल परिवार में वी.नि. 2236 (वि. 1766) में हुआ। उनके पिता का नाम नथमल और माता का नाम सोमादेवी था। नथमल सोजत के हाकिम थे।
रघुनाथ जी को धर्मसंस्कार विरासत में मिले थे। उनकी अध्ययन रुचि भी काफी तीव्र थी। एक घटना ने उनके जीवन की दिशां को बदल दिया। उनके एक प्रिय मित्र की मृत्यु हो गई। मित्र वियोग से रघुनाथ जी ... जैन चरित्र कोश ...
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