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प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। त्याग का अप्रतिम आदर्श प्रस्तुत करते हुए गंगा ने गांगेय को शान्तनु को अर्पित कर दिया। वह स्वयं वन में रही और निष्काम साधना में जीवन समर्पित कर उच्चगति की अधिकारिणी बनी।
-जैन महाभारत गंगादेवी
उन्नीसवें विहरमान तीर्थंकर श्री देवयज्ञ स्वामी की जननी। (देखिए-देवयज्ञ स्वामी) गंधसेना
___एक राजकुमारी जिसका पाणिग्रहण राजकुमार भुजंग (विहरमान तीर्थंकर) से हुआ था। (दखिए- भुजंगस्वामी) गम्भीर
___ अन्तगडसूत्र के अनुसार गम्भीर द्वारिका के राजा अन्धकवृष्णि और रानी धारिणी के पुत्र थे। उन्होंने भगवान अरिष्टनेमि के पास दीक्षा लेकर शत्रुजय पर्वत पर मासिक संलेखना के साथ सिद्धि पाई।
-अन्तगडसूत्र प्रथम वर्ग, चतुर्थ अध्ययन गजसिंह ___एक अपूर्व साहसी, शूरवीर और चारित्र का धनी राजकुमार, जिसने अपने शौर्य और भाग्य के बल पर कई राजाओं को अपने वश किया, कई राजकुमारियों से पाणिग्रहण किया और अन्त में मोक्षधाम भी प्राप्त किया। उसका जीवनवृत्त निम्नोक्त है
माण्डवगढ़ के राजा जामजशा की एक रानी थी दामवती। राजा और रानी जिनोपासक थे। दोनों में परस्पर प्रगाढ़ प्रीतिभाव था। विवाह के कई वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई। इससे राजा का रानी से प्रीतिभाव कम हो गया। कम होते-होते पूर्वजन्म के कर्मों के कारण प्रीतिभाव पूर्णतः विलीन हो गया। राजा ने एक-एक कर छह अन्य राजकुमारियों से पाणिग्रहण कर लिया। नवागन्तुक छहों रानियां ईर्ष्या की पिटारियां थीं। छहों ने मिलकर राजा के मन में दामवती के प्रति वैरभाव भर दिया। अकारण ही राजा दामवती को देशनिकाला देने पर तुल गया। पर मंत्री फूलसिंह की बुद्धिमत्ता से राजा वैसा नहीं कर सका। उसने राजमहल से आधा कोस की दूरी पर दामवती को एक भवन में भेज दिया और उसके भरण-पोषण का दायित्व राजकीय कोष से कर दिया।
सात विवाह करके भी राजा निःसंतान रहा। आखिर जंगल में जाकर उसने पद्मावती देवी की आराधना की। देवी ने राजा को सात आम दिए और कहा कि उसकी प्रत्येक रानी एक-एक आम शुद्ध भाव से खाए। वैसा करने पर उसे प्रत्येक रानी से एक-एक पुत्र प्राप्त होगा। राजा राजमहल लौट आया। छहों रानियों ने निश्चय किया कि वे दामवती को आम नहीं देंगी। उन छहों ने सातों आम खा लिए। दामवती भी आमों का रहस्य जान चुकी थी। उसने अपनी चतुर दासी भेजकर उन आमों की गुठलियां मंगवा लीं। उन गुठलियों को गंगाजल में धोकर उसने पीस लिया। आधा चूर्ण उसने स्वयं खा लिया और आधा अपनी घोड़ी को खिला दिया। कालक्रम से सातों पत्नियों ने सात पुत्रों को जन्म दिया। पर राजा की प्रिय छह रानियों के पुत्र अपंग, कुरूप और दुर्बुद्धि हुए जबकि दामवती का पुत्र अपूर्व तेजोदीप्त और सुन्दर था। राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा पूर्ण हुई। दामवती का पुत्र गजसिंह ही शिक्षा में भी सर्वोपरि रहा। वह प्रजा की आंखों का तारा था। पर पूर्वजन्म के संस्कारों के कारण और छहों विमाताओं द्वारा निरन्तर विषवमन के कारण वह राजा के प्रेम का अधिकार नहीं पा सका। ... 134 -
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