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नाम के साथ 'देखिए' के बाद संदर्भित चरित्र का नाम लिख दिया गया है। यह करने का कारण पुनरावर्तन और ग्रंथ के परिमाण में होने वाली अतिशय वृद्धि से बचना रहा है। भरपूर प्रयास के बावजूद संभव है कि कुछ चरित्रों के साथ-साथ कुछ प्रसंग भी छूट गए हों। उनके बारे में सजग पाठकों से सुझाव सादर आमंत्रित हैं। इस भावना के साथ कि प्रस्तुत संस्करण में रह गई त्रुटियों को दूर और अभावों को पूर्ण किया जा सके। कोई कार्य प्रारंभ होता है तो उसमें पूर्ण होने की संभावनाएं भी रहती हैं। प्रस्तुत कोश जैन चरित्रों के विधिवत् अंकन का प्रारंभ है, समापन नहीं।
मेरे आराध्य गुरुदेव संघशास्ता शासनसूर्य श्री रामकृष्ण जी म. की अदृष्ट कृपा से यह विशालकाय ग्रंथ मैं संपन्न कर पाया हूं। इस ग्रंथ की संपन्नता के क्षण में गुरुदेव की स्मृतियों ने मन को भाव-भावित भी किया है कि गुरुदेव की कल्पना को साकार करने मैं यत्किचित् सफल हो पाया।
इस ग्रंथ के लेखन में मैंने सैकड़ों पुस्तकों का अध्ययन किया। उन पुस्तकों के लेखकों के प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं । मुनिरत्न श्री अमित मुनि जी का समर्पित सहयोग मेरे प्रतिक्षण का अनुगामी बना रहा। उनके स्वर्णिम भविष्य की मैं कामनाएं करता हूं। प्रिय श्री विनोद शर्मा एवं प्रिय डॉ. श्री विनय 'विश्वास' का अप्रमत्त सहकार भी इस ग्रंथ के साथ जुड़ा है। दोनों के लिए हार्दिक शुभाशीष !
अंत में, इस ग्रंथ के लेखन से प्रकाशन तक में जिन-जिन का सहयोग मुझे मिला, उन सबके लिए मंगलमय आशीष !
- आचार्य सुभद्र मुनि
स्वकथ्य । ●
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- जैन चरित्र कोश ॥●