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________________ SEENEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFER ॐ Oहिंसा स्वयं की (आत्मवध): एक मूढतापूर्ण अधार्मिक क्रिया {110) से किं तं बालमरणे? बालमरणे दुवालसविहे प.,तं जहा- वलयमरणे 1 वसट्टमरणे 2 अंतोसल्लमरणे 3 तब्भवमरणे 4 गिरिपडणे 5 तरुपडणे 6 जलप्पवेसे 7 जलणप्पवेसे 8 विसभक्खणे 49 सत्थोबाडणे 10 वेहाणसे 11 गद्धपढे। इच्चेते णं खंदया! दुवालसविहेणं बालमारणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं 卐नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ, तिरिय० मणुय० मणुय० देव0 अणाइयं च णं अणवदग्गं चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टइ, से तं मरमाणे वड्ढइ । सेत्तं बालमरणे। (व्या. प्र. 2/1/26) म ___[26] (प्रश्न-) वह बालमरण क्या है? (उत्तर-) बालमरण बारह प्रकार का 卐 कहा गया है, वह इस प्रकार है- (1) बलयमरण (बलन्मरण-तड़फते हुए मरना), (2) 卐वशार्तमरण (पराधीनतापूर्वक या विषयवश होकर रिब रिब कर मरना), (3) अन्तःशल्यमरण (हृदय में शल्य रख कर मरना, या शरीर में कोई तीखा शस्त्रादि घुसा कर मरना अथवा ॥ सन्मार्ग से भ्रष्ट होकर मरना), (4) तद्भव- मरण (मर कर उसी भव में पुनः उत्पन्न होना, ॐ और मरना), (5) गिरिपतन (6) तरुपतन, (7) जल प्रवेश (पानी में डूब कर मरना), (8) ज्वलनप्रवेश (अग्नि में जल कर मरना), (9) विषभक्षण (विष खाकर मरना), (10) शस्त्रावपाटन (शस्त्राघात से मरना), (11) वैहानस मरण (गले में फांसी लगाने या 卐 वृक्ष आदि पर लटकने से होने वाला मरण) और (12) गृध्रपृष्ठमरण (गिद्ध आदि पक्षियों है द्वारा पीठ आदि शरीरावयवों का मांस खाये जाने से होने वाला मरण)। हे स्कन्दक! इन बारह प्रकार के बालमरणों से मरता हुआ जीव अनन्त बार नारक जभवों को प्राप्त करता है, तथा नारक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव- इस चातुर्गतिक अनादि-卐 अनन्त संसार-रूप कान्तार (वन) में बार-बार परिभ्रमण करता रहता है। अर्थात्- इस प्रकार बारह प्रकार के बालमरण से मरता हुआ जीव अपने संसार को बढाता है। 听听听听听听听听听听听 听听听听听听 ~~~%~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~羽~~~~~~~~~羽駅 -पाएकनाAARRIPin LELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELEUCLEUELCLCLCLCLER [जैन संस्कृति खण्ड/0
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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