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________________ EFFFF me 3 प्रत्याख्यान की निर्विषयता एवं निष्फलता का आक्षेप- उदक निर्ग्रन्थ द्वारा किए गए आक्षेप का आशय 卐 यह है कि श्रावक के प्रत्याख्यान है त्रस जीवों के हनन का, परन्तु जब सभी त्रसजीव त्रस पर्याय को छोड़कर स्थावर 卐 पर्याय में आ जाएंगे, तब उसका पूर्वोक्त प्रत्याख्यान निर्विषय एवं निरर्थक हो जाएगा। जैसे सभी नगरनिवासियों के卐 卐 वनवासी हो जाने पर नगरनिवासी को न मारने की प्रतिज्ञा निर्विषय एवं निष्फल हो जाती है, वैसे ही सभी त्रसों के 卐 स्थावर हो जाने पर श्रावक की त्रसघात- त्याग की प्रतिज्ञा भी निरर्थक एवं निर्विषय हो जाएगी। ऐसी स्थिति में एक भीम स पर्याय का प्राणी नहीं रहेगा, जिसे न मार कर श्रावक प्रत्याख्यान को सफल कर सके। श्री गौतम स्वामी द्वारा स्पष्ट समाधान- दो पहलुओं से दिया गया है 1. ऐसा त्रिकाल में भी सम्भव नहीं है कि जगत् के सभी त्रस, स्थावर हो जाएं, क्योंकि यह सिद्धान्तविरुद्ध है। 2. आपके मन्तव्यानुसार ऐसा मान भी लें तो जैसे सभी त्रस स्थावर हो जाते हैं, वैसे सभी थावर भी त्रस हो जाते हैं, इसलिए जब सभी स्थावर त्रस हो जाएंगे, तब श्रावक का सवध-त्याग सर्वप्राणी- वधत्याग विषयक होने से सफल एवं सविषय हो जाएगा। क्योंकि तब संसार में एकमात्र त्रसजीव ही होंगे जिनके वध का त्याग श्रावक करता है। इसलिए आपका यह (निर्विषयता रूप) आक्षेप न्याय-संगत नहीं है। O हिंसा-प्रत्याख्यान की सार्थकताः सम्यक ज्ञान से (103) से नूणं भंते! सव्वपाणेहिं सव्वभूतेहिं सव्वजीवेहिं सव्वसत्तेहिं 'पच्चक्खायं' इति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति? दुपच्चक्खायं भवति? गोतमा! सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं 'पच्चक्खायं' इति वदमाणस्स सिय॥ ॐ सुपच्चक्खातं भवति, सिय दुपच्चक्खातं भवति। (व्या. प्र. 7/2/1) __ [1-1 प्र.] हे भगवन् ! 'मैंने सर्व प्राण, सर्व जीव, और सभी सत्त्वों की हिंसा का - प्रत्याख्यान किया है', इस प्रकार कहने वाले के सुप्रत्याख्यान होता है या दुष्प्रत्याख्यान होता है? 卐 [1-1 उ.] गौतम! 'मैंने सभी प्राण यावत् सभी सत्त्वों की हिंसा का प्रत्याख्यान 卐 किया है, इस प्रकार कहने वाले के कदाचित् सुप्रत्याख्यान होता है और कदाचित् दुष्प्रत्याख्यान ज होता है। FES TYLEYENEFTEEEEEEM अहिंसा-विश्वकोश।451
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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