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________________ [हिंसा के इक्कीस भेदों का परिचय] (79) (टीका-) पाणिवह-प्राणिवधः प्रमादवतो जीवहिं सनम्। मुसावादं[ मृषावादोऽनालोच्य विरुद्धवचनम्। अदत्त-अदत्तं परकीयस्याननुमतस्य ) ॐ ग्रहणाभिलाषः। मेहुण-मैथुनं वनितासेवाभिगृद्धिः। परिग्गहं -परिग्रह : पापादानोपकरणकांक्षा। चेव-चैव तावन्त्येव महाव्रतानीति। कोह-क्रोधश्चंडता। मद मदो जात्याद्यवलेपः। माय-माया कौटिल्यम्। लोह-लोभो वस्तुप्राप्तौ गृद्धिः। भय卐 भयं त्रस्तता। अरदि- अरतिरुद्वेगः अशुभपरिणामः। रदी-रती रागः कुत्सिताभिलाषः। ॐ दुगुंछा-जुगुप्सा परगुणासहनम्। मणवयणकायमंगुल-मंगुलं पापादानक्रिया : तत्प्रत्येकमभिसम्बध्यते मनोमंगुलं वाङ्मंगुलं कायमंगुलं मनोवाक्कायानां पापक्रियाः। मिच्छादसण-मिथ्यादर्शनं जिनेन्द्रमतस्याश्रद्धानम्। पमादो-प्रमादश्चायतनाचरणं # वितथादिस्वरूपम् । पिसुणत्तणं-पैशुन्यं परस्यादोषस्य वा सदोषस्य वा दोषोद्भावत्वं ॐ पृष्ठमांसभक्षित्वं । अण्णाणं-अज्ञानं यथास्थितस्य वस्तुनो विपरीतावबोधः।अणिग्गहो-卐 अनिग्रह : स्वेच्छया प्रवृत्तिः, इंदियाण-इन्द्रियाणां चक्षुरादीनामनिग्रहश्चेत्येते एकविंशतिभेदा हिंसादयो द्रष्टव्या इति। (मूला. विजयो. 11/1026-1027) प्रमादपूर्वक जीव का घात हिंसा है। विना विचारे, विरुद्ध वचन बोलना असत्य है। बिना अनुमति से अन्य की वस्तु को ग्रहण करने की अभिलाषा चोरी है। स्त्रीसेवन की 卐 अभिलाषा मैथुन है। पाप के आगमन हेतुक उपकरणों की आकांक्षा परिग्रह है। ये पांच ' ॐ त्याज्य हैं। इनके त्याग से पांच महाव्रत होते हैं। वस्तुप्राप्ति की गृद्धता लोभ है। त्रस्त होना भय है। उद्वेग रूप अशुभ परिणाम का नाम अरति है। राग अर्थात कुत्सित वस्तु की अभिलाषा रति है। अन्य के गुणों को सहन नहीं करना जुगुप्सा है। पाप के आने की क्रिया 卐 का नाम मंगुल है। उसका तीनों योगों से सम्बन्ध है। अर्थात् मन की पापक्रिया मनोमंगुल है, 卐 ॐ वचन की पापक्रिया वचनमंगुल है, और काय की अशुभक्रिया कायमंगुल है। जिनेन्द्र के मत : का अश्रद्धान मिथ्यादर्शन है। अयतनाचार प्रवृत्ति का नाम प्रमाद है जो कि विकथा आदिरूप है। निर्दोष या सदोष ऐसे अन्य के दोषों का उद्भावन करना अथवा पृष्ठमांस का भक्षण 卐 पैशुन्य है। यथावस्थित वस्तु का विपरीत ज्ञान होना अज्ञान है। चक्षु आदि इन्द्रियों की ' स्वेच्छापूर्वक प्रवृत्ति होना अनिग्रह है। इस प्रकार से, हिंसा के ये इक्कीस भेद होते हैं। 卐 卐 अहिंसा-विश्वकोश।331
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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