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________________ REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEENA प्रारभ्य पर्वतो यागं प्राणिनोऽमन्त्रयत्तदा। महाकालः शरीरेण सह स्वर्गमुपागतः॥ (360) इत्याकाशे . विमानस्तानीयमानानदर्शयत्। देशाशिवोपसर्ग च तदैवासौ. निरस्तबान्॥ (361) इधर पर्वत ने यज्ञ आरम्भ कर प्राणियों को मंत्रित करना शुरू किया- मंत्रोच्चारण पूर्वक उन्हें यज्ञ-कुंड में डालना शुरू किया। उधर महाकाल ने उन प्राणियों को विमानों में बैठा कर शरीर-सहित आकाश में जाते हुए दिखलाया और विश्वास दिला दिया कि ये सब पशु स्वर्ग गए हैं। उसी समय उसने देश के सब अमंगल और उपसर्ग दूर कर दिए। %%%~~~~~弱弱弱~弱弱弱弱頭弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱化 तदृष्ट्वा देहिनो मुग्धास्तत्प्रलम्भेन मोहिताः। तां गतिं प्रेप्सवो यागमतिमाकांक्षयन्नलम्॥ (362) तद्यज्ञावसितौ जात्यं हयमेकं. विधानतः। इयाज सुलसां देवीमपि राजाज्ञया खलः॥ (363) प्रियकान्तावियोगोत्थशोकदावानलर्चिषा परिप्लष्ट तनू राजा राजधानी प्रविष्ट वान् ॥ (364) यह देख बहुत-से भोले प्राणी उसकी प्रतारणा-माया से मोहित हो गए और स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से यज्ञ में मरने की इच्छा करने लगे। यज्ञ के समाप्त होने पर उस दुष्ट पर्वत ने विधि-पूर्वक एक उत्तम जाति का घोड़ा तथा राजा की आज्ञा से उसकी सुलसा नाम की रानी को भी होम दिया। प्रिय स्त्री के वियोग से उत्पन्न हुए शोक रूपी दावानल की ज्वाला से जिसका शरीर जल गया है, ऐसा राजा सगर राजधानी में प्रविष्ट हुआ। शय्यातले विनिक्षिप्य शरीरं प्राणिहिंसनम्। वृत्तं महदिदं धर्मः किमधर्मोऽयमित्यसौ॥ (365) संशयानस्तथान्येधुर्मुनि यतिवराभिधम्। अभिवन्द्य मयाऽऽरब्धं भट्टारक यथास्थितम् ॥ (366) बहि किं कर्म पुण्यं मे पापं चेदं विचार्य तत्। इत्यवोचदसौ चाह धर्मशास्त्रबहिष्कृतम्॥ (367) एतदेव विधातारं सप्तमी प्रापयेत्क्षितिम्। तस्याभिज्ञानमप्यस्ति दिनेऽस्मिन् सप्तमेऽशनिः॥ (368) पतिष्यति ततो विद्धि सप्तमी धरणीति ते। तदुक्तं भूपतिर्मत्वा ब्राह्मणं तं न्यवेदयत् ॥ (369) तन्मृषा किमसौ वेत्ति ननः क्षपणकस्ततः। शङ्काऽस्ति चेत्तवैतस्याः शांतिरत्र विधीयते ॥ (370) वहां शय्यातल पर अपना शरीर डाल कर अर्थात् लेट कर वह संशय करने लगा कि यह जो बहुत भारी प्राणियों की हिंसा हुई है, वह धर्म है या अधर्म? ऐसा संशय करता हुआ वह यतिवर नामक मुनि के पास गया और REEEEEEEEEEEEEEEEESH अहिंसा-विश्वकोश।503]
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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