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________________ FEEEEEEEEEEEEEEE (1096) 明明明明明明明明明明 . अज्झत्थं सव्वओ सव्वं दिस्स पाणे पियायए। न हणे पाणिणो पाणे भयवेराओ उवरए। (उत्त. 6/7) 'सबको सब तरह से अध्यात्म-सुख प्रिय है, सभी प्राणियों को अपना जीवन प्रिय है'-यह जानकर भय और वैर से उपरत साधक किसी भी प्राणी के प्राणों की हिंसा न करे। {1097) कहिंचि विहरमाणं तं भिक्खू उव-संकमित्तु गाहावती आतगताए आतगताए 卐 पहाए असणं वा वत्थं वा पाणाई समारंभ जाव आहटु चेतेति आवसहं वा समुस्सिणाति है तं भिक्खुं परिघासेतुं। तं च भिक्खू जाणेजा सह- सम्मुतियाए परवागरणेणं अण्णेसिं वा सोचाम अयं खलु गाहावती मम अट्ठाए असणं वा वत्थं वा पाणाई समारंभ चेतेति आवसहं वाम 卐 समुस्सिणाति। तं च भिक्खू पडिलेहाए आगमेसा आणवेजा अणासेवणाए त्ति बेमि। ___(आचा. 1/8/2 सू. 205) वह भिक्षु कहीं भी विचरण कर रहा है, उस समय उस भिक्षु के पास आ कर कोई GE गृहपति अपने आत्म-गत भावों को प्रकट किये बिना (मैं साधु को अवश्य ही दान दूंगा, इस 卐 अभिप्राय को मन में संजोए हुए) प्राणों, भूतों जीवों और सत्त्वों के समारम्भपूर्वक अशन, ॥ ॥ पान आदि बनवाता है, साधु के उद्देश्य से मोल लेकर, उधार ला कर, दूसरों से छीन कर, भ ॐ दूसरे के अधिकार की वस्तु उसकी बिना अनुमति के लाकर, अथवा घर से ला कर देना । चाहता है या उपाश्रय का निर्माण या जीर्णोद्धार कराता है, वह (यह सब) उस भिक्षु के उपभोग के या निवास के लिए (करता है)। (साधु के लिए किए गए) उस (आरम्भ) को वह भिक्षु अपनी सद्बुद्धि से, दूसरों ' ॐ (अतिशयज्ञानियों) के उपदेश से या तीर्थंकरों की वाणी से अथवा अन्य किसी उसके है परिजनादि से सुन कर यह जान जाए कि यह गृहपति मेरे लिए, प्राणों, भूतों, जीवों और सत्त्वों के समारम्भ से अशनादि या वस्त्रादि बनावा कर या मेरे निमित्त मोल लेकर, उधार 卐 लेकर, दूसरों से छीन कर, दूसरे की वस्तु उसके स्वामी से अनुमति प्राप्त किए बिना ला कर ॐ अथवा अपने धन से उपाश्रय बनवा रहा है, भिक्षु उसकी सम्यक् प्रकार से पर्यालोचना है (छान-बीन) करके, आगम में कथित आदेश से या पूरी तरह से जान कर उस गृहस्थ को साफ-साफ बता दे कि ये सब पदार्थ मेरे लिए सेवन करने योग्य नहीं हैं, (इसलिए मैं इन्हें में स्वीकार नहीं कर सकता)। इस प्रकार मैं कहता हूं। SEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE [जैन संस्कृति खण्ड/444 少$$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 明明明明明明明明
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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