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________________ F FEREFERE (691) छेदनताडनबन्धा भारस्यारोपणं समधिकस्य। पानान्नयोश्च रोधः पञ्चाहिंसाव्रतस्येति ।। (पुरु. 6/3/183) (किसी जीव के) अंग का छेदन, मारना-पीटना, बहुत अधिक बोझ का लादना और अन्न-जल रोकना- इस प्रकार अहिंसाणुव्रत के ये पांच अतिचार हैं। {692 क्रोधाद् बन्ध-छविच्छेदोऽतिभाराधिरोपणम्। प्रहारोऽन्नादिरोधश्चाहिंसाया: परिकीर्तिताः॥ (है. योग. 3/90) 1. क्रोध पूर्वक किसी जीव को बांधना, 2. उसके अंग काट देना, 3. उसके बलबूते से अधिक बोझ लाद देना, 4. उसे चाबुक आदि से बिना कसूर ही मारना, 5. उसका खानाम पीना बंद कर देना... ये पांच अतिचार अहिंसाणुव्रत के बताये गये हैं। 1693} 弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱火~中~弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱に बंधवहछविच्छेए अइभारे भत्तपाणवुच्छेए। कोहाइदूसियमणो गो-मणुयाईण नो कुज्जा॥ (श्रा.प्र. 258) प्रथम अणुव्रत का धारक श्रावक क्रोधादि कषायों से मन को कलुषित कर गाय आदि * पशुओं और मनुष्यों आदि का बंध, वध, छविच्छेद, अतिभार और भक्त-पानव्युच्छेद न करे। (694) थूलगस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा, न समायरियव्वा । तं जहा- बंधे, वहे, छवि-च्छेए, अइभारे, भत्तपाण-वोच्छेए। (उवा. 1/45) इसके बाद श्रमणोपासक को स्थूल-प्रणातिपातविरमाण व्रत के पांच प्रमुख अतिचारों 卐 को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। वे इस प्रकार हैं बन्ध, वध, छविच्छेद, अतिभार, भक्त-पान-व्यवच्छेद। t. FUELESELFIELFIENYELFAREENFIEYENEFIFFERENEFINESELELESENELFALF अहिंसा-विश्वकोश/287]
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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