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________________ THEREFENEFFEEFINEESEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE - भूख से पीड़ित होने पर बिल्ली, मत्स्य, सर्पिणी और दुर्भिक्ष आदि में मनुष्य भी अपने प्रिय पुत्रों को खा जाते हैं। मनुष्य के जो दोष इस लोक और परलोक में दुःखदायी हैं, उन सब दोषों को मनुष्य आहार की लम्पटता के कारण ही करता है। । {505) आहारत्थं हिंसइ भणइ असच्चं करेइ तेणेक्कं । रूसइ लुब्भइ मायं करेइ परिगिण्हदि य संगे॥ (भग. आ.1637) आहार के लिए मनुष्य छहकाय के जीवों का घात करता है। असत्य बोलता है, चोरी 卐 करता है। आहार न मिलने पर क्रोध करता है। मिलने पर उसका लोभ करता है। मायाचार 卐 करता है। घर, पत्नी आदि परिग्रह संचित करता है। $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱 ० हिराक आजीविका वाली ग्लेच्छ जातियां {506) कयरे ते? जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीवितबंधणप्पओग-तप्पगल-जाल-वीरल्लगायसीदब्भ-वग्गुरा-कूडछेलियाहत्था हरिएसा ॐ साउणिया बीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धगा महुघाया पोयघाया एणीयारा पएणीयारा सर-दह-दीहिय-तलाग-पल्लव-परिगालण-मलण- सोत्तबंधण-सलिलासयसोसगा विसगरलस्स य दायगा उत्तणवल्लर-दवग्गि-णिद्दया पलीवगा कूर- कम्मकारी। (प्रश्न. 1/1/सू.19) वे हिंसक प्राणी कौन हैं? (वे हैं-) शौकरिक-जो शूकरों का शिकार करते हैं, मत्स्यबन्धक-मछलियों को जाल में 卐 बांध कर मारने वाले, जाल में फंसा कर पक्षियों का घात करने वाले, व्याध-मृगों, हिरणों 卐 को फंसाकर मारने वाले, क्रूरकर्मा वागुरिक-जाल में मृग आदि को फंसाने के लिए घूमने : वाले, जो मृगादि को मारने के लिए चीता, बन्धन-प्रयोग-फंसाने या बांधने के लिए उपकरणों, मछलियां पकड़ने के लिए तप्र-छोटी नौका, गल-मछलियां पकड़ने के लिए 卐 कांटे पर आटा या मांस, जाल, वीरल्लक-बाज पक्षी, लोहे का जाल, दर्भ-डाभ या ॥ 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 ॐ F תכתב בהכנת הכתבהפּתפֿתכתבתנחפרפרפתכתבתכתבת פרפרפרברבהתפתלהבתם
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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