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________________ 卐 筆 事 卐 卐 馬 जिनका मन धन में अनुरक्त रहता है, उनके हिंसा आदि किस दुराचरण के द्वारा पाप क का उपार्जन नहीं हुआ है ? अर्थात् वे हिंसा आदि अनेक पापकार्यों को करके अशुभ कर्म को उपार्जित करते ही हैं । उस धन में अनुराग रखने वाला कौन सा मनुष्य उसके उपार्जन, रक्षण, 卐 क और नाश से उत्पन्न हुए दुःखरूप अग्नि से सन्तप्त नहीं हुआ है ? सभी धनानुरागी उसके अर्जन आदि के कारण दु:खी होते हैं। इसलिए हे मूर्ख ! तू पहले ही इसका भलीभांति विचार 卐 करके उस धन-इच्छा को छोड़ दे। इसका परिणाम यह होगा कि तू न तो पाप का और न ही 卐 馬 सन्ताप का पात्र बनेगा । 行 馬 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐, {449} 編編 एन: केन धनप्रसक्तमनसा नासादि हिंसादिना, कस्तस्यार्जनरक्षणक्षयकृतैर्नादाहि दुःखानलैः । तत्प्रागेव विचार्य वर्जय वरं व्यामूढवित्तस्पृहाम्, येनैकास्पदतां न यासि विषयं पापस्य तापस्य च ॥ (ज्ञा. 16/40/862) 箭 筑 ● हिंसा व परिग्रहः सुखासक्ति की उपज {450) इन्द्रियसुखं वाऽत्र सुखशब्देनोच्यते, तत्रासक्तो हिंसादिषु प्रवर्तते । तेन परिग्रहारं भमूलात्सुखासंगाद्व्यावृत्तिः संवर एवेति । ( भग. आ. विजयो. 90) 卐 सुख शब्द से इन्द्रिय-सुख अर्थ अभिप्रेत है । जो इन्द्रिय-सुख में आसक्त होता है, 卐 वह हिंसा आदि करता है । अतः जो सुखासक्ति परिग्रह और आरम्भ का मूल है, उससे निवृत्त होना 'संवर' ही है । 卐 श्री. प्र 弱弱卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐事事事事事 卐 步 अहिंसा-विश्वकोश / 195/
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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