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________________ 明明明明明出 FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFEng 卐 फूस से भरे हैं, उन्हें जला डालो, घास कटवाओ या उखड़वा डालो, यन्त्रों-घानी गाड़ी आदि भांड-कुन्डे आदि, उपकरणों के लिए और नाना प्रकार के प्रयोजनों के लिए वृक्षों को कटवाओ, इक्षु-ईख-गन्नों को कटवाओ, तिलों को पेलो-इनका तेल निकालो, मेरा घर 卐 बनाने के लिए ईंटों को पकाओ, खेतों को जोतो अथवा जुतवाओ, जल्दी-से ग्राम, आकर ॐ (खानों वाली बस्ती), नगर, खेड़ा और कर्वट-कुनगर आदि को बसाओ। अटवी- प्रदेश में विस्तृत सीमा वाले गांव बसाओ। पुष्पों और फलों को तथा प्राप्तकाल अर्थात् जिनको तोड़ने या ग्रहण करने का समय हो चुका है, ऐसे कन्दों और मूलों को ग्रहण करो। अपने परिजनों के लिए इनका संचय करो। शाली-धान, व्रीहि-अनाज आदि और जौ को काट लो। इन्हें जमलो अर्थात् मसल कर दाने अलग कर लो। पवन से साफ करो-दानों को भूसे से पृथक् करो और शीघ्र कोठार में भर लो-डाल लो।छोटे, मध्यम और बड़े नौकादल या नौकाव्यापारियों या नौकायात्रियों के समूह को नष्ट कर दो, सेना (युद्धादि के लिए) प्रयाण करे, संग्रामभूमि 卐 में जाए, घोर युद्ध प्रारम्भ हो, गाड़ी और नौका आदि वाहन चलें। (433) म सजणपरियणस्स य णियगस्स य जीवियस्स परिरक्ख-णट्ठयाए पडिसीसगाई य卐 देह, देह य सीसोवहारे विविहोसहिमज्जमंस-भक्खण्ण-पाण-मल्लाणुलेवणपईवजलिउज्जलसुगंधि-धूवावगार-पुष्फ-फल-समिद्धे पायच्छित्ते करेह, पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउप्पायदुस्सुमिण-पावसउण-असोमग्गहचरिय-अमंगल-णिमित्त-पडिघायहेलं, Y वित्तिच्छेयं करेह, मा देह किंचि दाणं, सुठ्ठ हओ सुट्ठु छिण्णो भिण्णोत्ति उवदिसंता॥ म एवंविहं करेंति अलियं मणेण वायाए कम्मुणा य अकुसला अणज्जा अलियधम्म-णिरया है अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्ठा अलियं करेत्तु होइ य बहुप्पयारं । ___ (प्रश्र. 1/2/सू.57) अपने कुटुम्बी जनों की अथवा अपने जीवन की रक्षा के लिए कृत्रिम-आटे आदि 卐से बनाये हुए प्रतिशीर्षक (सिर को)चण्डी आदि देवियों की भेंट चढ़ाओ। अनेक प्रकार की 卐 ओषधियों, मद्य, मांस, मिष्टान्न, अन्न, पान, पुष्पमाला, चन्दन, लेपन, उबटन, दीपक, GE सुगन्धित धूप, पुष्पों तथा फलों से परिपूर्ण विधिपूर्वक बकरें आदि पशुओं के सिरों की बलि दो। विविध प्रकार की हिंसा करके अशुभ-सूचक उत्पात, प्रकृतिविकार, दुःस्वप्न, अपशकुन, 卐 क्रूरग्रहों के प्रकोप, अमंगल-सूचक अंगस्फुरण-भुजा आदि अवयवों का फड़कना, आदि 卐 जी के कुफल को नष्ट करने के लिए प्रायश्चित्त करो।अमुक की आजीविका नष्ट-समाप्त कर दो। किसी को कुछ भी दान मत दो। वह मारा गया, यह अच्छा हुआ। उसे काट डाला गया, यह NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE अहिंसा-विश्वकोश।।891
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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