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________________ {413) SHEEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFER मा कडुयं भणह जणे महुरं, पडिभणह कडुयभणिया वि। जइ गेण्हिऊण इच्छह लोए सुहयत्तण-पडायं॥ (कुवलयमाला, अनुच्छेद 85) ___यदि संसार में अच्छेपन की ध्वजा लेकर चलना चाहते हो तो लोगों को कडुआ मत卐 बोलो और उनके द्वारा कडुआ बोले जाने पर भी मधुर वचन बोलो। 14141 हासेण वि मा भण्णऊ, णयरं जं मम्मवेहणं वयणं । (कुवलयमाला, अनुच्छेद 85) मज़ाक के द्वारा भी मर्मवेधक और व्यर्थ के वचन मत बोलो। $$$$%%%%%%%%%%%%%%%%弱弱弱弱弱弱弱頭明 (415) साइयं न मुसं बूया, एस धम्मे वुसीम ओ॥ (सू. कृ. 1/8/19) विश्वासघात न करना, विश्वासघाती असत्य न बोलना- यही धर्म है। {416) कक्कस्सवयणं णिठ्ठरवयणं पेसुण्णहासवयणं च। जं किंचि विप्पलावं गरहिदवयणं समासेण ॥ (भग. आ. 824) कर्कश वचन अर्थात् घमण्डयुक्त वचन, निष्ठर वचन, दूसरे के दोषों का सूचन म करने वाले वचन, हास्य वचन और जो कुछ भी बकवाद करना, ये सब संक्षेप में गर्हित ॥ वचन हैं। 明明明明明明 FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEN अहिंसा-विश्वकोश||83]]
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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