________________
.....209-215
(हिंसक भावना के प्रेरक तत्व) • हिंसक व क्रूर कर्मों का मूलः कामभोग-आसक्ति ... • जीवघातक व आत्मघातकः विषय-भोग-आसक्त प्राणी .......... 216-218 • हिंसक वृत्ति का कारणः भूख की पीड़ा . . . . . . . . . . . . . . . . • हिंसक आजीविका वाली म्लेच्छ जातियां ........ . . . . . . . • हिंसा की प्रवृत्तिः प्रायः स्वार्थी व अज्ञानियों में . . . . . . . . . . . . . . 221-227 ॥ • हिंसक वृत्ति का पोषक: संयमहीन/अप्रत्याख्यानी जीवन ..........
ॐ
(हिंसक मनोभाव और उनके निवारक अहिंसात्मक भाव) • हिंसा के प्रेरक: अप्रशस्त कषाय भाव .....
.. 236-237 • हिंसात्मक भावों में प्रमुखः क्रोध ...................... 238-240 • अहिंसात्मक प्रशम भाव या क्षमाः क्रोध की एकमात्र चिकित्सा ..... • अहिंसात्मक प्रशस्त चिन्तनः क्षमा भाव का परिणाम ........... • अहिंसा की सहचारिणीः क्षमा, दया, अनुकम्पा, करुणा आदि. . . . . • अहिंसा-आराधक के लिए अपेक्षितः अनुकम्पा/करुणा. . . . . . . . . . 249-25022 • अनुकम्पा व दया का स्वरूप और उसके प्रेरक उपदेश. . . . . . . . . . . • अहिंसा-धर्माराधकः प्राणियों के लिए अभयदाता. . . . . . . . . . . . .
(अहिंसा की कसौटी परः देव,गुरु, शास्त्र व धर्म का चयन) • हिंसा-दोष से मुक्त ही शास्त्र व धर्म सेवनीय. .............. 258-261) • अहिंसक वेश-भूषा व स्वभाव वाले ही देव व गुरु मान्य.......... 261-263
4. श्रावक-चर्या और अठिया:
264-332
(अहिंसा की यथाशक्य साधनाः प्रावक-चया) • हिंसा व हिंसक वृत्तियों का संवर्धक: मद्यपान. . . . . . .... 264-266 • जीव-हिंसा का दोषी: मांससेवी. . . . . . .
. . . . . . 267-2703
יפיפיפיפיפיפיפיפיפיפיפתפתפתסתפחנתפתתשרפרפהמחממתכתבתסחפתשסתם 4
___IX