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REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE • अहिंसात्मक वचनः सत्य'. . . . . . . .
. . . . . 180-181 • हिंसात्मक पीड़ाकारी वचन त्याज्य .........
. . . . . . 181-185 • अहिंसात्मक हितकारी वचन का उपदेश . . . . . . . . . . . . . . . • हिंसात्मक वातावरण का ध्यानः उपदेशक के लिए अपेक्षित ........ 186-187 • हितकारी भाषणः तपस्वी/सन्त का स्वभाव . . . . . . . . . . . . . . . . . . .187 • हिंसा-दोष से अस्पृष्टः गुरु का अप्रिय उपदेश-वचन ........... 187-188 • हिंसा प्रेरक व मिथ्या आचारः असावधान/ अविवेकी जनों का वाणी-व्यवहार . 188-190
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(हिंसा और परिग्रह) • हिंसा और परिग्रहः परस्पर-सम्बद्ध . . . . . . . . . .
.............190-195 • हिंसा व परिग्रहः सुखासक्ति की उपज .... • हिंसात्मकः क्रोध आदि कषाय परिग्रह . . . . . . . . . • परिग्रह की परिणतिः कलह-विरोध
• • • .........196-19 • हिंसात्मक परिग्रह त्याज्य ..........
........198-19 • अहिंसक भावना अपेक्षितः राजकीय कोष-संग्रह में . . . . . . .
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......199
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(हिंसा और अदत्तादान) • हिंसा की ही एक विधिः स्तेय/चोरी/अदत्तादान • हिंसाप्रियता व दूषित मनोवृत्तिः चोरी और लूट की प्रेरक • हिंसा का संस्कारः चोर के अगले भव में भी
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(हिंसा और अब्रह्मचर्य) • अहिंसा का पोषकः अब्रह्मचर्य . . . . . . . • हिंसात्मक कार्यः अब्रह्मसेवन . . . . . . . . • अहिंसक वातावरण का कारणः अब्रह्मसेवन . . . • अहिंसा आदि व्रतों का मूल: ब्रह्मचर्य ....... • अहिंसा व मुक्ति का मार्गः अनासक्ति . . . .
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................208-20
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VIII