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________________ 名 (प्रश्न. 1/1/ सू.43) यह प्राणवध चण्ड, रौद्र, क्षुद्र और अनार्य जनों द्वारा आचरणीय है। यह घृणारहित, नृशंस, महाभयों का कारण, भयानक, त्रासजनक और अन्यायरूप है। यह उद्वेगजनक, दूसरे के प्राणों की परवाह न करने वाला, धर्महीन, स्नेह - पिपासा से शून्य, करुणाहीन है। इसका अन्तिम का परिणाम नरक में गमन करना है अर्थात् यह नरक -गति में जाने का कारण है। यह मोहरूपी 卐 महाभय को बढ़ाने वाला और मरण के कारण उत्पन्न होने वाली दीनता का जनक है। ! 編編 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 (230) एसो सो पाणवहो चंडो रुद्दो अणारिओ णिग्घिणो णिसंसो महब्भओ बीहणओ तासणओ अणज्जाओ उव्वेयणओ य णिरवयक्खो णिद्धम्मो णिप्पिवासो णिक्कलुणो 卐 馬 णिरयवासगमणणिधणो मोहमहब्भयपवड्डूओ मरण - वेमणसो । 卐 馬! {231} सततारम्भयोगैश्च व्यापारैर्जन्तुघातकैः । शरीरं पापकर्माणि संयोजयति देहिनाम् ॥ 编 निरन्तर आरम्भ (हिंसा) करने वाले और जीवघात से तथा हिंसा-संबंधी व्यापारों से (ज्ञा. 2/126/177) जीवों का शरीर (काययोग) पापकर्मों का संग्रह करता है अर्थात् उक्त काययोग से अशुभास्रव होता है। (232) शीलं वदं गुणो वा णाणं णिस्संगदा सुहच्चाओ । जीवे हिंसंतस्स हु सव्वे वि णिरत्थया होंति ॥ जीवों की हिंसा करने वाले के शील, व्रत, गुण, ज्ञान, नि:संगता और 'विषय - सुख 'का त्याग'- ये सभी ही निरर्थक होते हैं । (233) परपरितावपवादो पावस्स य आसवं कुणदि । (भग. आ. 788) (पंचा. 139 ) दूसरे को संताप देना और उसका अपवाद करना - यह सब पापास्रव के कारण हैं । 馬 卐 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 编 अहिंसा - विश्वकोश। 103/ 卐 卐 卐 卐 卐 卐
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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