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________________ *$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 卐 筑 馬 卐 编编编 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 O हिंसा - दोषः वध्य जीव की आयु के अनुरूप नहीं 噩 (183) केइ बालाइवहे बहुतरकम्मस्सुवक्कमाउ ति । मन्नंति पावमहियं बुड्ढाईसुं विवज्जासं ॥ श्रा. प्र. 221 ) कितने ही वादी यह मानते हैं कि बाल आदि (बालक, कुमार, युवा और वृद्ध) इनका वध करने पर अधिकाधिक कर्म का उपक्रम होने के कारण क्रम से अधिक पाप होता है (अर्थात् बालक के वध की अपेक्षा कुमार आदि के वध में अधिक पाप लगता है)। इसके विपरीत, वृद्ध आदि (वृद्ध, युवा, कुमार और बालक) इनका वध करने पर अतिशय अल्प कर्म का उपक्रम होने के कारण क्रम से उत्तरोत्तर अल्प पाप होता है । (184) एयं पि न जुत्तिखमं जं परिणामाउ पावमिह वृत्तं । दव्वाइभेयभिन्ना तह हिंसा वन्निया समए ॥ ( श्रा.प्र. 222 ) यह भी-वादी का उपर्युक्त अभिमत भी - युक्तिसंगत नहीं है। कारण इसका यह है कि यहां पाप का उपार्जन व्यक्ति के स्वयं के परिणाम के अनुसार कहा गया है, तथा आगम में हिंसा का वर्णन द्रव्य-क्षेत्रादि के भेद से भिन्न-भिन्न रूप में माना गया है। [ यहां उक्त अभिमत का निराकरण करते हुए कहा गया है कि बालक आदि के वध में अधिक, और वृद्ध आदि के वध में अल्प पाप होता है-यह जो वादी का अभिमत है, युक्तियुक्त नहीं है। इसका कारण यह है कि पाप 编卐卐卐卐卐卐 $$$! का जनक संक्लेश है, वह बाल व कुमार आदि के वध में अधिक हो, और वृद्ध व युवा आदि के वध में अल्प हो, 馬 ऐसा नियम नहीं है- कदाचित् बालक के वध में अधिक, और कुमार के वध में कम भी संक्लेश हो सकता है। कभी परिस्थिति के अनुसार इसके विपरीत भी वह हो सकता है। इसके अतिरिक्त, आगम में द्रव्य व क्षेत्र आदि के अनुसार हिंसा भी अनेक प्रकार की निर्दिष्ट की गई है। यथा- कोई हिंसा केवल द्रव्य से होती है, भाव के बिना केवल द्रव्य से होती है, वह संक्लेश परिणाम से रहित होने के कारण पाप की जनक नहीं होती। जैसे ईर्यासमिति गमन करते हुए साधु के पांवों के नीचे आ जाने से चींटी आदि क्षुद्र जन्तु का विघात। इसके विपरीत, जो किसी को शत्रु मानकर उसके वध का विचार तो करता है, पर उसका घात नहीं कर पाता। इसमें घात रूप द्रव्य हिंसा के न होने पर भी संक्लेश परिणामरूप 'भाव हिंसा' के सद्भाव में उसके पाप का संचय अवश्य होता है ।] 编 卐 अहिंसा - विश्वकोश | 79/ 卐 卐 卐 $$$$$
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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