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________________ 巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {4} अठिंयक आचार-विचार के सूत्रःभारतीय संस्कृतिक वांग्मय में [भारतीय संस्कृति के सर्वप्राचीन ग्रंथ 'वेद' माने जाते हैं। वेद में अहिंसा या अहिंसक आचरण के अनेक प्रेरक वचन प्राप्त होते हैं। वेदोत्तर संस्कृत साहित्य (महाभारत, गीता, योगवाशिष्ठ, और मनुस्मृति आदि स्मृति ग्रन्थों, उपनिषदों,विविध पुराणों, नीति-ग्रन्थों आदि-आदि) में भी भारतीय संस्कृति का वैचारिक प्रवाह निरंतर दृष्टिगोचर होता है। 'अहिंसा' तथा इसके सभी पक्षों को जीवन में उतारने के लिए इन ग्रन्थों में उपयोगी निर्देश उपलब्ध हैं। # प्राणवध, द्वेष, निन्दा, क्रोध, पर-अपकार, पर-अपमान, छल, कपट, ईर्ष्या, कटुवचन, दुराचार, क्रूरता, असत्य : दोषारोपण-आदि-आदि परपीड़ाकारी कार्य 'हिंसा' ही हैं, इनका निषेध करने हेतु उनमें उपदेश हैं, तो क्षमा, दया, करुणा, परोपकार, मैत्री-सौहार्द, दान, पर-अनुग्रह, परदुःखकातरता, सदाचारपूर्ण बर्ताव, समत्व-भाव आदि-आदि अहिंसक आचरण अपनाने की भी प्रेरणाएं प्राप्त हैं। किसी अहिंसा-आराधक व्यक्ति का व्यावहारिक जीवन कैसा होना 卐 चाहिए-इसे समझने के लिए उक्त ग्रन्थों के उपयोगी व महत्त्वपूर्ण उद्धरणों को सूत्र रूप में विभिन्न शीर्षकों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा रहा है-] अहिंसाः दैनिक जीवन में आचरणीय F垢玩垢垢玩垢听听听听听听听听乐乐明 垢玩垢听听听听听听听听听听听听听听坎坎坎听听听听听听听听听 FF听听听听听听听听听乐明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听 {208} मा हिंसीस्तन्वा प्रजाः। (य.12/32) तू अपने शरीर से किसी को भी पीड़ित न कर। {209} मा हिंसीः पुरुषं जगत्। (य.16/3) मनुष्य और जंगम (गाय, भैंस आदि) पशुओं की हिंसा न करो। {210}. कविर्देवो न दभायत् स्वधावान्। (अ.4/1/7) क्रान्तदर्शी श्रेष्ठ ज्ञानी ऐश्वर्य से समृद्ध होकर भी किसी को पीड़ा नहीं देते हैं, सब ॐ पर अनुग्रह ही करते हैं। %%%%%%%%% %%%%%% % %%%% %%%% % %%%% विदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/68
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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