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________________ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE {39} अहिंसा परमो धर्म इति वेदेषु गीयते। दानं दया दम इति सर्वत्र हि श्रुतं मया॥ तस्मात्सर्वप्रयत्नेन कार्यं वै महतामपि॥ (प.पु. 6(उत्तर)/64/63-64) अहिंसा परम धर्म है, ऐसा वेदों में कहा गया है। दान, दया, व दम- इन (के * महत्त्व) को भी मैंने सर्वत्र सुना है। इसलिए सभी तरह से महान् लोगों द्वारा सेवनीय अहिंसा आदि का आचरण करना चाहिए। {40} अहिंसा परमो धर्मः पुराणे परिकीर्तितः। (ना. पु. 2/107) अहिंसा को पुराणों में परम धर्म' (सर्वोत्कृष्ट धर्म) के रूप में वर्णित किया गया है। {41} 9用圳坂明明明明明明明明明明明明明编织乐明明明明明明明明明明明明听巩巩巩巩明明明明明明明明明明明 प्राणिनामवधस्तात सर्वज्यायान् मतो मम। (म.भा. 8/69/23) प्राणियों की हिंसा न करना ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। {42} यथा नागपदेऽन्यानि पदानि पदगामिनाम्। सर्वाण्येवापि धीयन्ते पदजातानि कौञ्जरे॥ एवं सर्वमहिंसायां धर्मार्थमपि धीयते। अमृतः स नित्यं वसति यो हिंसां न प्रपद्यते। (प.पु. 1/15/373-374; म.भा. 5/245/18-19;13/114/6 में तथा अ.पु. 372/4-5 में आंशिक परिवर्तन के साथ) जैसे पैरों द्वारा चलनेवाले अन्य प्राणियों के सम्पूर्ण पद-चिन्ह हाथी के पद-चिन्ह में * समा जाते हैं, उसी प्रकार सारा धर्म और अर्थ अहिंसा में अन्तर्भूत हैं। जो किसी की भी हिंसा नहीं करता, वह सदा अमृत (जन्म व मृत्यु के बन्धन से मुक्त) होकर निवास करता है। 男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男男 अहिंसा कोश/11]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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