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________________ SE NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEma निर्भय हो जाता है। {10229 धर्मनिष्ठे जयो राज्ञि योद्धव्याश्च समाः समैः। गजाद्यैश्च गजाधाश्च न हन्तव्याः पलायिनः॥ (अ.पु. 236/57) जो राजा धर्म से युक्त होकर युद्ध करता है, उसकी विजय होती है। युद्ध अपने बराबर वालों के साथ करना चाहिये, जैसे हाथीसवार को हाथी आदि पर सवार योद्धाओं के साथ ही युद्ध करना चाहिये। संग्राम से भागने वालों को नहीं मारना चाहिये। - {1023} ¥¥¥¥¥听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐听听听听听听听听听听坎坎坎F圳乐乐乐乐听听听听 न प्रेक्षकाः प्रविष्टाश्च अशस्त्राः पतितादयः। शान्ते निद्राभिभूते च अर्थोत्तीर्णे नदीवने॥ (अ.पु. 236/58) युद्ध देखने वाले, निःशस्त्र होकर युद्ध में प्रवेश करने वाले, गिरे हुए, शान्त तथा निद्रा से अभिभूत पुरुषों को नहीं मारना चाहिये। 5 {1024} मत्तं प्रमत्तमुन्मत्तं सुप्तं बालं स्त्रियं जडम्। प्रपन्नं विरथं भीतं न रिपुं हन्ति धर्मवित्॥ . (भा.पु. 1/7/36) ____ मद्यादि से मत्त, असावधान, ग्रहादि के आवेश से उन्मत्त, सोता हुआ बालक, स्त्री, निष्क्रिय, शरणागत, जिसका रथ टूट गया है और डरा हुआ शत्रु-इन को धर्मज्ञ पुरुष नहीं मारते। {1025) राज्ञा राजैव योद्धव्यस्तथा धर्मो विधीयते। नान्यो राजानमभ्यस्येदराजन्यः कथञ्चन॥ __ (म.भा. 12/96/7) राजा को राजा के साथ ही युद्ध करना चाहिये (अन्य के साथ नहीं)। उसके लिये # यही धर्म विहित है। जो राजा या राजकुमार नहीं है, उसे किसी प्रकार भी राजा पर अस्त्रॐ शस्त्रों का प्रहार नहीं करना चाहिये।। %%%%%%%%弱弱弱明明明明明明明明明明明明明明明明》 अहिंसा कोश/301] 55555555
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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